जयपुर। जहां ग्रामीण क्षेत्रों में घरों तक रोशनी पहुंचाना वर्तमान समय की प्रमुख आवश्यकता है, वहीं रूरल एनर्जी में विविधता लाना भी जरूरी है। ऐसे में प्रोडक्टिविटी एवं एनर्जी एफिशिएंसी में वृद्धि, वेस्ट में कमी एवं इसकी रिसाइक्लिंग करने के साथ-साथ रेफ्रीजरेशन, कोल्ड स्टोरेज एवं ट्रांसपोर्टेशन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। राजस्थान सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक वी. सरवन कुमार ने ‘राजस्थान रूरल एनर्जी स्टार्टअप समिट‘ में मुख्य भाषण के दौरान यह बात कही। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
एक दिवसीय यह समिट जयपुर के इनक्यूबेशन सेंटर स्टार्टअप ओएसिस द्वारा राजस्थान सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से आयोजित की गई।
कुमार ने कहा कि स्टार्टअप्स द्वारा हाइब्रिड एवं माइक्रो पावर जनरेशन के अतिरिक्त इसके डिस्ट्रिब्यूशन पर ध्यान देना चाहिए। अब हमें सौर ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा से आगे बढ़ते हुए एग्रीकल्चर के बॉय प्रोडक्टस जैसे कि सोयाबीन की भूसी के जरिए ऊर्जा उत्पादन करने की आवश्यकता है, जो कि राजस्थान के बारां क्षेत्र में बड़ी मात्रा में बेकार पड़ी रहती है।
समिट के दौरान आयोजित एक पैनल डिस्कशन में कुमार ने स्टार्टअप्स के उत्पादों के सर्टिफिकेशन एवं स्टैंडर्डाइजेशन की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
इससे पूर्व इस समिट का परिचय देते हुए स्टार्टअप ओएसिस के सीईओ चिंतन बख्शी ने कहा कि राजस्थान में ऊर्जा क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा देना समिट का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने बताया कि यह समिट विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के साथ आयोजित 3 महीने के एक्सेलेरेटर प्रोग्राम के समापन का हिस्सा है। इस प्रोग्राम में 5 स्टार्टअप्स को मेंटरशिप प्रदान कर उनका ऑपरेशनल एवं फाइनेंशियल प्लान भी तैयार किया गया।
इस अवसर पर समिट के प्रोग्राम पार्टनर बास्क रिसर्च फाउंडेशन, अटल इनक्यूबेशन सेंटर, जेकेएल यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
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