जयपुर। डॉक्टरों और राजस्थान सरकार के बीच गतिरोध 12वें दिन भी जारी है। इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को डॉक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से मुलाकात की। लेकिन बैठक बेनतीजा रही। डॉक्टरों को वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क करने की सलाह दी गई। बिल को वापस लेने की मांग को लेकर डॉक्टरों ने हड़ताल का आह्वान किया है। निजी अस्पताल एवं नसिर्ंग होम सोसायटी के पदाधिकारियों ने गुरुवार को बैठक कर मामले में मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इसके तुरंत बाद प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री आवास भी पहुंचा, जहां डॉक्टरों की ओर से वीरेंद्र सिंह ने डॉक्टरों की मांग से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।
इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को उनकी व्यथा सुनने के लिए अधिकृत किया।
बिल के खिलाफ आंदोलन दिन पर दिन जोर पकड़ता जा रहा है।
निजी अस्पताल एवं नसिर्ंग होम सोसायटी के सचिव डॉ. विजय कपूर ने कहा कि प्रदेश भर के निजी अस्पतालों ने सरकारी योजनाओं को बंद करने की लिखित सहमति दे दी है। 1 अप्रैल से राजस्थान के सभी निजी अस्पतालों में सरकारी योजनाओं के सामूहिक डी-एमपैनलमेंट की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
आक्रोशित डॉक्टरों ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल जारी है। सरकार के दबाव में भले ही कुछ रेजिडेंट्स काम पर लौट आए हों, लेकिन जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ने अपनी हड़ताल जारी रखी है।
इस बीच, मरीजों का इलाज के लिए पड़ोसी राज्यों में जाना जारी है।
वरिष्ठ डॉक्टर वीरेंद्र सिंह ने आईएएनएस से कहा, हमें उम्मीद है कि यह गतिरोध 12वें दिन खत्म हो जाएगा। डॉक्टर वास्तव में बिल में लगाए गए जुर्माने से डरे हैं। कल्पना कीजिए कि अगर कोई मरीज शिकायत करता है और डॉक्टर का नाम शिकायत प्राधिकरण के पास जाता है और वे जुर्माना लगाते हैं। उन्होंने सवाल किया कि 25 हजार डॉक्टर कहां जाएंगे।(आईएएनएस)
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