जयपुर। उद्योग व राजकीय उपक्रम मंत्री परसादी लाल मीणा ने बताया है कि सूूक्ष्म, लघु एवं मध्य उद्यमों के विलंबित भुगतानाें से संबंधित प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए राज्य में अब चार सूक्ष्म एवं लघु परिषदों का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि अब तक एक ही सुविधा परिषद होने से उद्यमियों के प्रकरणों पर सुनवाई कर निस्तारण करने में लंबा समय लग जाता था। उन्होंने बताया कि सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों से प्राप्त सामान का 45 दिनों में भुगतान नहीं होने की स्थिति में सुविधा परिषद में वाद दायर कर राहत प्राप्त करने की सुविधा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उद्योग मंत्री मीणा ने बताया कि सभी चारों सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषदों में अन्य सदस्यों के साथ ही दो-दो प्रतिनिधि उद्योग संघों से होंगे और इनको राज्य सरकार द्वारा दो वर्ष के लिए नामित किया जाएगा। इसके अलावा राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति का प्रतिनिधित्व भी इस सुविधा परिषद में होगा। उन्होंने बताया कि एक मोटे अनुमान के अनुसार राज्य में इस तरह के 1750 प्रकरण उद्योग विभाग को ऑनालईन व ऑफ लाईन बकाया है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार के एमएसएमईडी एक्ट 2006 के अनुसार राज्य में 2007 से राजस्थान सूक्ष्म एवं लघु उद्यम परिषद नियम बने हुए हैं।
उन्होंने बताया कि इन्हें राजस्थान सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद नियम 2018 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है। उन्होंने बताया कि एमएसएमईडी एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुसार सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से सामान प्राप्त करने वाले उद्योगों या संस्था को राषि का भुगतान 45 दिन में नहीं होने की स्थिति में संबंधित पक्ष सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद में वाद प्रस्तुत कर राहत प्राप्त कर सकते हैं।
मीणा ने बताया कि एसएम इकाइयों के समय पर भुगतान नहीं होने व भुगतान विवादों के प्रकरणों के निस्तारण के लिए यह परिषद दोनों पक्षों को सुनकर निर्णय करती है। प्रकरण ऑन लाईन दर्ज कराने की सुविधा है और प्रकरणों के दर्ज होने के बाद इनके समय पर निस्तारण के लिए चार परिषदों का गठन करने का निर्णय किया गया है। उन्होंने बताया कि इनमें से एक सुविधा परिषद का मुख्यालय जोधपुर रखा गया हैं वहीं अन्य तीन सुविधा परिषदों का मुख्यालय जयपुर रखा गया है।
प्रमुख सचिव एमएसएमई आलोक ने बताया कि चारों सुविधा परिषदों का कार्यक्षेत्र निर्धारित कर दिया गया है। राज्य सरकार द्वारा दो-दो सदस्यों को नामित करने का कार्य प्रक्रियाधीन है। उन्होंने बताया कि सुविधा परिषदों के गठन के आदेश जारी कर दिए गए हैं। आलोक ने बताया कि एमएसएमईडी एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुसार 45 दिन में भुगतान नहीं करने वाले पक्ष को मूलधन एवं विलंबित अवधि की बैंक ब्याज दर की 3 गुणा दर से ब्याज का भुगतान करना होता है।
उद्योग आयुक्त डॉ. कृृष्णा कांत पाठक ने बताया कि जयपुर जिले में अधिक प्रकरणों को देखते हुए दो सुविधा परिषद बनाई गई है वहीं तीसरी सुविधा परिषद जयपुर जिले को छोड़कर जयपुर संभाग के बाकी जिलों, कोटा, भरतपुर और अजमेर संभाग के लिए गठित की गई है। उन्होंने बताया कि जोधपुर में अलग से सुविधा परिषद बनाते हुए जोधपुर, बीकानेर और उदयपुर संभाग के प्रकरणों को सुनवाई कर निस्तारण का अधिकार दिया गया है।
डॉ. पाठक ने बताया कि जयपुर जिले की प्रथम सुविधा परिषद का गठन आयुक्त उद्योग की अध्यक्षता में किया गया है। इसमें अतिरिक्त निदेशक उद्योग प्रथम और समन्वयक राज्य स्तरीय बैंर्कर्स समिति को स्थाई सदस्य बनाया गया है। दो प्रतिनिधि सूक्ष्म एवं लघु उद्यम संघों से होंगे जिन्हें राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाएगा। इसी तरह से सुविधा परिषद द्वितीय अतिरिक्त निदेशक उद्योग द्वितीय की अध्यक्षता में किया गया है। इसमें संयुक्त निदेशक उद्योग प्रथम व समन्वयक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति द्वारा नामित बैंक अधिकारी, जो कि स्केल 6 से कम का नहीं होगा, स्थाई सदस्य होंगे।
उन्होंने बताया कि तीसरी परिषद का गठन अतिरिक्त निदेशक उद्योग तृतीय की अध्यक्षता में किया गया है। इसमें संयुक्त निदेशक उद्योग द्वितीय व समन्वयक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति द्वारा नामित बैंक अधिकारी, जो कि स्केल 6 से कम का नहीं होगा, स्थाई सदस्य होंगे। इसी तरह से जोधपुर सुविधा परिषद के अध्यक्ष अतिरिक्त निदेशक उद्योग प्रथम अध्यक्ष होंगे। महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र जोधपुर और शीर्ष बैंक अधिकारी जिला स्तरीय बैंकर्स समिति जोधपुर स्थाई सदस्य होंगे। चारो ही सुविधा परिषद में सूक्ष्म एवं लघु उद्योग संघों के दो दो प्रतिनिधि राज्य सरकार द्वारा दो साल के लिए नामित किए जाएंगे।
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