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सफेद दाग से घबराने की नहीं जरूरत, होम्योपैथी से संभव है सफल इलाज : डॉ. अंशुल शर्मा

No need to be afraid of white spots, successful treatment is possible with homeopathy: Dr. Anshul Sharma - Jaipur News in Hindi

जयपुर। सफेद दाग को लेकर आज भी समाज में भ्रांतियां व्याप्त होने के साथ ही छूत की बीमारी के रुप में सफेद कुष्ट को देखा जाता है तो शरीर के किसी भी अंग पर सफेद दाग होने की स्थिति में इससे ग्रसित व्यक्ति हीनभावना से ग्रसित हो जाता है। पर ऐसा है नहीं होम्योपैथी के युवा चिकित्सक डॉ. अंशुल शर्मा दिलासा देते हुए बताते हैं कि सफेद दाग दिखाई देने पर संकोच या हेय भावना से ग्रसित होने के स्थान पर किसी भी योग्य होम्योपैथिक प्रेक्टिशनर से आसानी से इसका ईलाज करवाया जाना संभव है। होम्योपैथी सिमलिया सिमिलिबस क्यूरेंटूर सिद्धान्त पर आधारित है और सफेद दाग, खाज-खुजली आदि त्वचा रोग, एलर्जी, चोट, पथरी सहित कई रोगों में तो एक योग्य होम्योपैथ प्रेक्टिशनर बेहतरीन ईलाज कर सकता है। सामान्यतः सफेद दाग/विटीलिगो शरीर के इम्यून सिस्टम के द्वारा मेलेनोसाइट्स (जो त्वचा में रंग को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार कोशिकाएँ हैं) नष्ट हो जाने या ठीक से काम नहीं करने की स्थिति में होता है। इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही कोशिकाओं पर हमला करने के कारण प्रभावित क्षेत्र पर त्वचा का रंग हल्का या सफेद हो जाता है। यह बीमारी किसी भी उम्र, जाति या लिंग के व्यक्ति को हो सकती है, वैसे तो यह आमतौर पर 20 वर्ष की आयु से पहले दिखती है। पर आजकल वरिष्ठ नागरिकों में सफेद दाग या सफेद कुष्ट रोग फैलते हुए देखा जा रहा है।
होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति है, जो शरीर और मन की संतुलन की ओर ध्यान केंद्रित करती है। होम्योपैथी में व्यक्ति की समग्र स्थिति को ध्यान में रखते हुए उपचार किया जाता है, बजाय सिर्फ रोग के बाहरी लक्षणों पर ध्यान देने के। होम्योपैथी मे रोगी के मानसिक प्रकृति पर ध्यान दे के दवा दी जाती है
होम्योपैथ डॉ. अंशुल शर्मा ने बताया कि सफेद कुष्ट या सफेद दाग होने की स्थिति में बिना किसी संकोच के योग्य होम्योपैथी प्रेक्टिशनर से संपर्क करते हुए उसे विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराएं। इसके साथ ही सफेद दाग के ईलाज के लिए धैर्य सबसे अधिक जरुरी हो जाता है। सफेद दाग को समूच नष्ट होने में करीब आठ से दस माह लग जाते हैं। सफेद दाग के एक रोगी के आने पर उनके लक्षणों के अनुसार नेट्रम म्यूरेटिकम दवा शुरुआत में 200 सीएच पॉवर की एक डोज और इसके साथ प्लेसिबो डेड़ से दो माह तक दी गई। इस दवा से सुधार के लक्षण दिखने पर दो माह बाद नेट्रम म्यूरेटिकम 1 एम पॉवर की गई। प्लेसिबो को नियमित जारी रखते हुए तीन माह में देने के बाद सुधार को देखते हुए नेट्रम म्यूरेटिकम के पॉवर को 10 एम तक ले जाया गया। इसके बाद भी प्लेसिबोे जारी रखी गई। नेट्रम म्यूरेटिकम के पॉवर की हर बार सिंगल डॉज ही दी गई और सिंगल डॉज के बाद प्लेसिबो जारी रखी गई। इस तरह से 8 से 10 माह में सफेद कुष्ट या सफेद दाग का पूरी तरह से ईलाज संभव हो पाया।
अन्य चिकित्सा पद्धतियों की तरह होम्योपैथी चिकित्सा पद्धती में भी यह साफ होना चाहिए कि बिना चिकित्सक की सलाह के दवा नहीं ली जाएं। खासतौर से होम्योपैथी में तो रोगी की प्रकृति और रोग के लक्षण के अनुसार दवा और उसकी पोटेन्सी का उपयोग किया जाता है। इसलिए यह सोचकर कि होम्योपैथी दवा का साईड इफेक्ट नहीं है इसलिए स्वयं चिकित्सक बनने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।

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Web Title-No need to be afraid of white spots, successful treatment is possible with homeopathy: Dr. Anshul Sharma
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