जयपुर। प्रदेश के उद्योग आयुक्त डाॅ. कृृष्णाकांत पाठक ने बताया है कि प्रदेश के सभी उद्योगों के प्रतिनिधियों से बारी-बारी से चर्चा कर उनकी कठिनाइयों व सेक्टर विशेष की संभावनाओं को समझते हुए प्रदेश की नई उद्योग नीति का प्रारुप तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नई उद्योग नीति प्रदेश के औद्योगिक विकास को गति देने वाली, निवेशोन्मुखी और रोजगारोन्मुखी बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए फूड प्रोसेसिंग और टैक्सटाइल उद्योग के प्रतिनिधियों से विचार विमर्श किया गया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डाॅ. पाठक सोमवार को उद्योग भवन में फूड प्रोसेसिंग और टैक्सटाइल क्षेत्र से जुडें औद्योगिक संघों से नई उद्योग नीति के संदर्भ में सुझाव आमंत्रित किए और विचार विमर्श किया। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है जब नई उद्योग नीति का प्रारुप तैयार करने से पहले संबंधित संघों से सीधा संवाद कायम किया गया है।
उन्होंने बताया कि प्रारुप तैयार होने पर एक बार फिर चर्चा के लिए रखा जाएगा ताकि प्रदेष में औद्योगिक नीति में सभी की सहभागिता तय हो सके।
रीको के प्रबंध संचालक गौरव गोयल ने कहा कि नई औद्योगिक नीति में आज उद्योगों के सामने आ रही कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास होगा वहीं नीति अधिक कारगर होगी। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि नई नीति तैयार करते हुए अन्य प्रदेशों की नीतियों का अध्ययन और प्रदेश के विशेषज्ञों की भागीदारी तय की जा रही है। गौरव गौयल ने कहा कि उद्योगों से संवाद कर उनके सुझाव लिए जा रहे हैं वहीं समस्याओं और कठिनाइयों से रुबरु हो रहे हैं।
समिति की सदस्य सचिव अतिरिक्त निदेशक पीके जैन ने विस्तार से जानकारी दी।
फोर्टी के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, इण्डस्ट्रीयल प्रकोष्ठ के चेयरमेन जगदीश सोमानी वरिष्ट उपाध्यक्ष अरुण अग्रवाल ने वेयरहाउसों को भी उद्योग का दर्जा दिलाने, मिलावट वाले उद्यमों को हतोत्साहित करने, आर एण्ड डी पर जोर देने और मेला प्रदर्शनियों में बी टू बी संवाद कायम करने, प्रदेश मे निर्यात नीति विकसित करने और भूमि रुपातंरण आदि के संबंध में सुझाव दिया। आॅयल एसोसिएशन के मनोज मुरारका ने कहा कि सरसों के अलावा अन्य खाद्य तेलों के निर्यात की छूट है वहीं सरसों तेल निर्यात पर रोक लगी हुई है जिससे प्रदेश के तेल उद्यमियों और उत्पादक किसानों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरसों तेल निर्यात पर रोक हटाई जाए। संघों ने प्रदेश का सरसों उत्पादक प्रदेश घोषित करने, जीएसटी के बाद अब मण्डी टैक्स हटाने, डेडिकेटेड कोरिडोर का काम शुरु करने और अन्य प्रदेशों की तरह बिजली दरों पर रियायत देने, बिजली के फिक्स चार्ज व्यवस्था को रिव्यू करने, नेचुरल गैस की उपलब्धता बढ़ाने आदि सुझाव दिए।
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