शिक्षा राज्य मंत्री ने बताया कि कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों
को राजस्थान के भूगोल, इतिहास, संस्कृति एवं शौर्य परम्परा से परिचय कराने
हेतु तथा आजादी के बाद का राष्ट्र निर्माण एवं स्वर्णिम भारत के विविध
पक्षों से परिचय कराने हेतु विशेष पुस्तकों का प्रावधान किया गया है। इसके
तहत कक्षा 9 में अब ‘राजस्थान का स्वतंत्रता आंदोलन एवं शौर्य परम्परा’,
कक्षा 10 में ‘राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति’, कक्षा 11 में ‘आजादी के
बाद का स्वर्णिम भारत, भाग प्रथम’ तथा कक्षा 12 में ‘आजादी के बाद का
स्वर्णिम भारत, भाग द्वितीय’ का अध्ययन करवाया जाएगा।
शिक्षा राज्य
मंत्री ने कहा कि पुस्तकों में विषयों के अनुसार ही चित्र एवं नक्शे
इत्यादि का प्रयोग किया गया है। विषय विशेषज्ञ एवं विद्वानों द्वारा
तार्किक विश्लेषण से आबद्ध सरल भाषा में इस तरह से विषय सामग्री पुस्तकों
में समाविष्ट की गयी है कि विद्यार्थी को विषय की गूढ़ जानकारी हो सके।
डोटासरा
ने कहा कि राज्य में विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, इसके
लिए सभी स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विद्यालयी
पाठ्यक्रम अद्र्धवार्षिक परीक्षा आयोजन यानी दिसम्बर से पूर्व संपूर्ण हो
जाए, इसके लिए निर्देश दिए गए है। उन्होंने कहा कि राज्य के विद्यालयों में
नवाचार अपनाते हुए अब यह तय किया गया है कि प्रतिमाह विषयवार निर्धारित
पाठ्यक्रम पूरा हो तथा पढ़ाए हुए की तैयारी की परख भी हो जाए इसके लिए मासिक
टेस्ट प्रारंभ किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि विद्यालयों में माह के
अंतिम सप्ताह में मासिक परीक्षा होगी। टेस्ट आयोजन उपरान्त आगामी तीन
दिनों में मासिक टैस्ट की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कर विद्यार्थियों को
बाल सभाओं में परिणाम अभिभावकों के समक्ष बताए जाएंगे। यह मासिक टैस्ट बगैर
वीक्षक आयोजित होंगे ताकि विद्यार्थियों में स्वअनुशासन से पढ़ने और
परीक्षा देने की प्रवृति का सहज विकास हो सके। मासिक टैस्ट के लिए
प्रश्नपत्र विद्यालय स्तर पर ही तैयार करवाए जाएंगे।
डोटासरा ने
कहा कि राजस्थान देश का पहला ऎसा राज्य है जहां पर बस्तों के बोझ को कम
करने की दिशा में पहल की गयी है। उन्होंने बताया कि कक्षा एक से पांच तक
बस्तों के बोझ को कम करने संबंधित पायलट प्रोजेक्ट की शुरूआत जयपुर से की
गयी है। अब बच्चों को अलग-अलग पुस्तकों के स्थान पर एक ही पुस्तक लेकर जानी
होगी। कक्षा एक के विद्यार्थियों की पुरानी किताबेां का वजन 900 ग्राम से
घटाकर 400 ग्राम, कक्षा दो में 950 ग्राम से घटाकर 300 ग्राम, कक्षा तीन
में एक किलो 350 ग्राम के स्थान पर 500 ग्राम, कक्षा चार में 1 किलो 450
ग्राम के स्थान पर 500 ग्राम करने की पहल की गयी है। इस प्रकार कक्षा एक से
पांच तक की किताबों के वजन को 5 किलो 900 ग्राम से घटाकर 2 किलो 200 ग्राम
कर दिया गया है। इससे दो तिहाई बस्ते का बोझ कम हुआ है। इस प्रयोग की सतत
समीक्षा की जाा रही है। सफल परिणमा रहते हैं तो आने वाले समय में इसे कक्षा
1 से 12 तक प्रदेशभर में लागू कर दिया जाएगा।
शिक्षा राज्य
मंत्री ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा की बेहतरी के लिए निरंतर प्रयास किए जा
रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की यह मंशा है कि प्रदेश के सभी
विद्यालय उत्कृष्ट शिक्षा के केन्द्र बनें। उन्होंने कहा कि इसीलिए शिक्षा
क्षेत्र में नवाचार अपनाते हुए बालसभाओं का आयोजन की पहल की गयी है। इससे
पहले शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने विशेष आवश्यकता वाले
बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रदेश में कारगर प्रयास किए जाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि जो बच्चे शारीरिक रूप में किसी तरह से अक्षम हैं, उनकी
शिक्षा के लिए समर्पित होकर कार्य करने की जरूरत है।
बुधवार
को राज्य परियोजना समन्वयक एवं प्रभारी अधिकारी (संदर्भ केन्द्रों) की एक
दिवसीय आमुखीकरण कार्यशाला में उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि
शिक्षकों का सम्मान राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी उद्देश्य
से प्रदेश में शिक्षकाें के सम्मान की परम्परा को बढ़ते हुए इस बार 1101
शिक्षकों को सम्मानित कने की पहल की गयी। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया
कि वे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में राजस्थान को देश का अग्रणी राज्य बनाए।
उन्होंने राज्य में शिक्षा क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की चर्चा करते
हुए कहा कि पहली बार शिक्षकों की परिवेनाओं के निस्तारण का वृहद स्तर पर
कार्य किया गया और शाला दर्पण में स्टाफ कोर्नर का भी पृथक से प्रावधान
किया गया है।
डोटासरा ने कहा कि वह स्वयं शिक्षक परिवार से आते हैं
इसलिए उनका शिक्षकों से अतिरिक्त लगाव है। उन्होंन कहा कि शिक्षकों की सेवा
संबंधित समस्याओं का यथासमय त्वरित निदान करने के लिए अधिकारियों को
निर्देश दिए गए हैं।
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