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- गिरिराज अग्रवाल -
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जयपुर। जयपुर शहर में नगरीय विकास कर (UD Tax) औऱ विज्ञापन आदि शुल्क वसूली के लिए अधिकृत फर्म मैसर्स स्पैरो सॉफ्टटेक प्रा. लि. पर नगर निगम ग्रेटर और स्वायत्त शासन विभाग के अफसर इतने मेहरबान है कि राजस्व वसूली लक्ष्यों में पिछड़ने पर भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। यहां तक कि पेनल्टी लगाए जाने का प्रावधान होने के बावजूद आंखें बंद किए हुए हैं। इस संबंध में खासखबर डॉट कॉम की ओर से पूर्व में उठाए गए मुद्दों की अब स्थानीय निधि अंकेक्षण विभाग ने भी अपनी ऑडिट रिपोर्ट में पुष्टि कर दी है।
राज्य विधानसभा में हाल ही पेश ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च, 2022 तक उक्त फर्म मैसर्स स्पैरो सॉफ्टटेक प्रा. लि. द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के मुकाबले 446 .34 करोड़ रुपए की कम वसूली की है। रिपोर्ट के मुताबिक नगर निगम ग्रेटर ने वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 में नगरीय विकास कर की वसूली के लिए इस संस्था से एग्रीमेंट (करार) किया था।
ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया है कि 31 मार्च, 2022 को 446. 34 करोड़ रुपए की कम वसूली पर संस्था को 29 मई, 2023 को मीमो दिया गया। लेकिन, इसका कोई जवाब नहीं मिला। नगरीय विकास कर की वसूली सूचना में प्रारंभिक शेष औऱ चालू वर्ष की मांग में से चालू वर्ष में की गई वसूली राशि घटाने पर अगले वर्ष की बकाया कर का प्रारंभिक शेष आना चाहिए था। लेकिन, स्पैरो सॉफ्टटेक प्रा. लि. द्वारा उपलब्ध कराए गए वसूली सूचना में बकाया कर का प्रारंभिक शेष ही कम दर्शाया गया। इसका संस्था ने जांच दल को कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया।
ऑडिट द्वारा यह मामला मई और अक्टूबर 2024 में स्वायत्त शासन विभाग के ध्यान में लाया गया। इसके बाद 2 दिसंबर, 2024 को समापन बैठक भी की गई। इसके बाद स्वायत्त शासन विभाग के वित्तीय सलाहकार ने बताया कि नगर निगम ग्रेटर द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 में यूडी टैक्स की राशि 127. 48 करोड़ रुपए वसूल कर ली गई है। जबकि ऑडिट पार्टी ने आक्षेप वित्तीय वर्ष 2020-21 और वर्ष 2021-22 के बकाया यूडी टैक्स को लेकर लगाए थे। इस तरह 446. 34 करोड़ रुपए के नुकसान पर कोई कार्रवाई अफसरों द्वारा नहीं की गई।
स्पैरो सॉफ्टटेक से नहीं वसूली 4.70 करोड़ रुपए की पेनल्टीः
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 में यू़डी टैक्स की तय लक्ष्यों से कम वसूली के लिए 4.70 करोड़ रुपए की पेनल्टी लगाई जानी चाहिए थी। क्योंकि करार पत्र के आर्टिकल 16 के बिंदु संख्या 2 के अनुसार प्रथम वर्ष के लक्ष्य 48 करोड़ रुपए की वसूली नहीं किए जाने पर जितनी राशि नहीं वसूली गई, उसकी 9.95 प्रतिशत पेनल्टी फर्म से वसूल की जानी थी।
इसी तरह बिंदु संख्या 3 में यह स्पष्ट प्रावधान है कि चालू वर्ष की मांग राशि का 75 प्रतिशत वसूल नहीं किए जाने पर मांग और वसूली के अंतर की राशि 9.95 प्रतिशत पेनल्टी फर्म से वसूली जाएगी।लेकिन, नगर निगम अफसरों द्वारा यह पेनल्टी राशि नहीं वसूली गई। जांच दल द्वारा इस संबंध में स्पष्टीकरण चाहने के लिए 2 मई, 11 मई, 17 मई, 26 मई, 29 मई,2023 को मीमो जारी किए। लेकिन, कोई जवाब ऑडिट दल को नहीं दिया गया। यह मामला जुलाई, नवंबर, 2024 में स्वायत्त शासन विभाग के ध्यान में भी लाया गया। लेकिन, स्वायत्त शासन विभाग के वित्तीय सलाहकार की ओर से स्पष्ट जवाब दिए जाने के बजाय लीपापोती कर दी गई।
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