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तय लक्ष्य से आधा भी राजस्व नहीं वसूल पाए नगर निगम, फिर भी मना रहे जश्न

Municipal corporation could not recover even half of the fixed target, still celebrating - Jaipur News in Hindi

जयपुर। जान बची और लाखों पाए, लौट कर बुद्धू घर को आए। कुछ ऐसा ही हाल जयपुर के ग्रेटर और हैरिटेज नगर निगमों का है। इन निगमों के अफसर इस बात की खुशी मना रहे हैं कि उन्होंने प्राइवेट कंपनी के जरिए इतना यूडी टैक्स तो वसूल लिया है कि 15वें वित्त आयोग से मिलने वाला अनुदान नहीं रुकेगा। किसी अफसर या प्राइवेट कंपनी पर कार्रवाई भी नहीं होगी। लेकिन, हकीकत कुछ और ही है। यूडी टैक्स की जितनी राशि करीब 103 करोड़ रुपए को रिकॉर्ड वसूली बताया जा रहा है, वह तय लक्ष्य की 50 प्रतिशत भी नहीं है। फाइनेंसियल टारगेट में पिछड़ने के बावजूद जश्न मनाना तो कोई नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज के अफसरों से सीखे।
अब इस संबंध में लोकल फंड एंड ऑडिट डिपार्टमेंट के निदेशक को शिकायत करके स्पेशल ऑडिट कराए जाने की मांग की गई है। क्योंकि एक मोटे अनुमान के मुताबिक जयपुर शहर में 1.50 लाख से ज्यादा प्रॉपर्टी ऐसी हैं जो यूडी टैक्स के दायरे में आती हैं। इनमें से सिर्फ 32000 प्रॉपर्टी से ही टैक्स वसूला गया है। हालांकि प्राइवेट कंपनी टेंडर शर्तों के मुताबिक पिछले 3 साल में टैक्स योग्य प्रॉपर्टीज का सर्वे तक पूरा नहीं कर पाई है। जयपुर ग्रेटर की मेयर ने हाल ही कंपनी को इस काम के लिए 15 दिन और राजस्व वसूली के टारगेट पूरे करने के लिए 7 दिन का समय दिया था।
नगर निगम सूत्रों के मुताबिक साल के आरंभ में जब बजट तैयार किया जाता है तो यूडी टैक्स से आय औऱ व्यय के आंकड़ों को बोर्ड की बैठकों में अंतिम रूप देकर यूडी टैक्स वसूली के लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं। प्राइवेट एजेंसी स्पैरो सॉफ्टटेक को यूडी टैक्स कलेक्शन का ठेका वर्ष 2019-20 में दिया गया था। तब यूडी टैक्स से आय 96 करोड़ रुपए मानी गई। फिर वर्ष 2020-21 में इसे बढ़ाकर 225 करोड़ रुपए किया गया। लेकिन, बाद में वर्ष 2020-21 और 2022-23 के लिए अचानक यूडी टैक्स से इनकम का लक्ष्य घटाकर 200 करोड़ रुपए कर दिया गया।
आश्चर्यजनक यह है कि राजधानी जयपुर समेत सभी शहरों, राज्यों औऱ देश में टैक्स योग्य प्रॉपर्टी और टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ रही है। इस हिसाब से टैक्स से राजस्व आय के लक्ष्य में बढ़ोत्तरी होनी चाहिए थी। लेकिन, यह लक्ष्य ही घटा दिया गया। निगम के राजस्व अधिकारियों की मानें तो पिछले 4 साल के दौरान निगमों को यूडी टैक्स से लगभग 600-700 करोड़ रुपए की सालाना आय़ के लक्ष्य (टारगेट) तय किए गए थे। लेकिन, इसकी एवज में यूडी टैक्स कलेक्शन 300 करोड़ रुपए भी नहीं हुआ। जो राशि वसूली गई है, वह लक्ष्य का 50 प्रतिशत भी नहीं है।
दोनों नगर निगम प्राइवेट कंपनी स्पैरो सॉफ्टटेक पर टेंडर की शर्तों के मुताबिक तय टैक्स टारगेट की अंतर राशि यानि 300-400 करोड़ रुपए पर 5 प्रतिशत की दर से पेनल्टी लगाने के बजाय 15वें वित्त आयोग से अनुदान मिलने योग्य होने की खुशी मना रहे हैं। जबकि प्राइवेट कंपनी पर नियमानुसार पेनल्टी की राशि 15 से 20 करोड़ रुपए बनती है।
नगर निगम और स्वायत्त शासन विभाग के अफसर भी हैरान हैं कि लोकल फंड ऑडिट विभाग अंकेक्षण के दौरान इस तरह की हेराफेरी को क्यों नहीं पकड़ पाया। जबकि निदेशक लोकल ऑडिट और एजी ऑफिस भी जयपुर में ही हैं। इस मामले की तह तक जाने के लिए इसकी विस्तृत जांच (स्पेशल ऑडिट) कराया जाना जरूरी है। क्योंकि जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा विकास कार्यों में लगने के बजाय प्राइवेट कंपनी को कमीशन के रूप में दिया जा रहा है।

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Web Title-Municipal corporation could not recover even half of the fixed target, still celebrating
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