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चमत्कारी बिच्छू घास: हिमालयी जड़ी-बूटियों का वो रहस्य जो चुभता भी है और बचाता भी है

Miraculous Scorpion Grass: The secret of Himalayan herbs that stings and protects - Jaipur News in Hindi

त्तराखंड के ऊंचे पर्वतीय इलाकों, खासकर मुनस्यारी के हरे-भरे ढलानों पर एक ऐसा पौधा पनपता है जिसे छूने भर से तीव्र जलन और खुजली होती है। स्थानीय भाषा में इसे 'कंडाली' या 'बिच्छू घास' (वैज्ञानिक नाम: Urtica dioica) कहा जाता है। सदियों से एक साधारण, चुभने वाले खरपतवार के रूप में देखी जाने वाली यह घास अब अपने अनसुने औषधीय गुणों और व्यावसायिक क्षमता के कारण वैज्ञानिकों, उद्यमियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित कर रही है। लेकिन, इस कांटेदार पौधे के भीतर छिपे चमत्कारिक रहस्य क्या हैं, और ये कैसे उत्तराखंड के दूरदराज के समुदायों के लिए गेमचेंजर बन सकते हैं? सिर्फ दर्द नहीं, रक्षा कवच भीः
बिच्छू घास को छूने पर होने वाली जलन इसके पत्तों और तनों पर मौजूद सूक्ष्म, खोखले बालों (ट्राइकोम्स) के कारण होती है। ये बाल फॉर्मिक एसिड, हिस्टामाइन, एसिटाइलकोलाइन और सेरोटोनिन जैसे रसायनों से भरे होते हैं, जो त्वचा के संपर्क में आने पर एक तीखी जलन और सूजन पैदा करते हैं। लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि यही 'रक्षा प्रणाली' इसे कई कीटों और शाकाहारी जानवरों से बचाती है और मनुष्य के लिए भी इसमें कुछ आश्चर्यजनक लाभ छिपे हैं। लोक कथाओं में तो यह भी कहा जाता है कि जहां बिच्छू घास उगती है, वहां सांप नहीं आते, हालांकि यह वैज्ञानिक रूप से पूरी तरह से सिद्ध नहीं है।
दर्द निवारक से लेकर कैंसर रोधी तक?
पारंपरिक पहाड़ी चिकित्सा में बिच्छू घास का उपयोग सदियों से होता आ रहा है। गठिया, जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों की ऐंठन में राहत के लिए इसके पत्तों को सीधे प्रभावित क्षेत्र पर रगड़ने का प्रचलन रहा है। इसे 'बिच्छू का डंक' देने वाली थेरेपी माना जाता है, जिसके बाद रक्त संचार तेज होता है और दर्द कम होता है। हालांकि, आधुनिक विज्ञान अब इसके कहीं अधिक गहरे प्रभावों को उजागर कर रहा है: पौष्टिक पावर हाउस: यह आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और के से भरपूर है। इसकी पत्तियों में प्रोटीन की मात्रा भी अच्छी होती है, जिससे यह कुपोषण से लड़ने में मददगार हो सकती है।
एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण: शोध बताते हैं कि बिच्छू घास में शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक होते हैं, जो गठिया, एलर्जी और मूत्र पथ के संक्रमण (UTI) जैसी सूजन संबंधी बीमारियों के इलाज में प्रभावी हो सकते हैं।
मूत्रवर्धक और रक्त शुद्धिकारी: यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करती है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और गुर्दे के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करती है।
डायबिटीज में लाभ: कुछ अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि बिच्छू घास रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है, जिससे यह मधुमेह प्रबंधन में सहायक हो सकती है।
बालों और त्वचा के लिए: इसके अर्क का उपयोग बालों के झड़ने को रोकने और रूसी के इलाज के लिए किया जाता है। यह त्वचा की विभिन्न समस्याओं में भी लाभकारी मानी जाती है।
संभावित कैंसर रोधी गुण: यह सबसे चौंकाने वाला तथ्य है। प्रारंभिक शोधों में कुछ यौगिकों की पहचान की गई है जिनमें कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने की क्षमता हो सकती है, हालांकि इस पर अभी और गहन अध्ययन की आवश्यकता है।
सिर्फ दवा नहीं, अब फैशन और खाद्य उद्योग में भी दस्तकः बिच्छू घास सिर्फ औषधीय उपयोग तक सीमित नहीं है। इसकी मजबूत रेशेदार संरचना के कारण, इसे अब वस्त्र उद्योग में भी एक टिकाऊ विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। मुनस्यारी के कुछ स्थानीय समूह पारंपरिक रूप से इसके रेशों से कपड़े और थैले बनाते रहे हैं। लेकिन, अब इसे 'हिमालयी भांग' के रूप में प्रमोट किया जा रहा है, क्योंकि इसके रेशे मजबूत और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, जो सिंथेटिक फाइबर का एक बेहतर विकल्प प्रदान कर सकते हैं। खाद्य उद्योग में भी इसकी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों में इसकी पत्तियों से स्वादिष्ट साग, सूप और चटनी बनाई जाती है, जो न केवल पौष्टिक होती है, बल्कि अपने विशिष्ट स्वाद के लिए भी जानी जाती है।
चुनौतियाँ और भविष्य की राह: जहां बिच्छू घास के कई फायदे हैं, वहीं इसकी कटाई और प्रसंस्करण में चुनौतियाँ भी हैं। इसकी चुभन के कारण इसे सावधानी से संभालना पड़ता है। इसके व्यावसायिक उत्पादन और सतत कटाई के तरीकों पर शोध आवश्यक है ताकि इसके प्राकृतिक आवास को नुकसान न पहुंचे।
मुनस्यारी की यह 'कंडाली', जो कभी केवल एक परेशानी मानी जाती थी, अब उत्तराखंड के स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक अवसर का एक नया द्वार खोल रही है। औषधीय गुणों से लेकर वस्त्र और खाद्य उत्पादों तक, बिच्छू घास का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है, और यह साबित कर रहा है कि प्रकृति में छिपे हर "खरपतवार" में कोई न कोई अनसुना चमत्कार जरूर होता है।

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Web Title-Miraculous Scorpion Grass: The secret of Himalayan herbs that stings and protects
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