जयपुर । नेटथियेट कार्यक्रमों की श्रृंखला में राजस्थान के युवा शास्त्रीय गायक मोहम्मद ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अमान ने जब स्वर की कमान संभाली तो स्वरों का गुलदस्ता फ़िजा़ में महक उठा।
नेटथियेट के राजेन्द्र शर्मा राजू ने बताया कि मोहम्मद अमान ने अपने कार्यक्रम की शुरूआत राग यमन से की। विलंबित में ख्याल में एक बंदिश " सलोना रे बालम" मध्य लय में "जग में शरम रख मेंरी " बडे मनोयोग से सुना कर श्रोताओं को अभिभूत किया। अमान की गायकी में तानें इतनी साफ व तैयार हैं कि एक-एक सुर अलग-अलग दिखाई दिया । संगीत मार्तण्ड पण्डित जसराज ने अमान के संगीत साधना की तारीफ करते हुये कहा था कि इनके गले में जबरदस्त तरीके से अल्लाह का वास है।
इसके बाद अमान ने द्रुत मे तराना सुनाकर वाह वाही लूटी और अंत में राग खमाज में एक ठुमरी "तोरे मद भरे नैन रसीले " गाई तो ऐसा लगा मानो की स्वरों की खुशबू चारों दिशाओं में बिखर गई है। अमान ने संगीत की शिक्षा अपने दादागुरू उस्ताद अमीर मोहम्मद खान से प्राप्त की।
कार्यक्रम का संचालन लोककला मर्मज्ञ ईश्वर दत्त माथुर ने किया।
अमान के साथ हारमोनियम पर उनके गुरु उस्ताद ज़फर मोहम्मद ने असरदार संगत कर कार्यक्रम को परवान चढ़ाया तो तबले पर संगत कर रहे मोहम्मद शोएब ने अपनी उंगलियों का जादू दिखाकर वाहवाही लूटी। कार्यक्रम में संस्कृति कर्मी श्री सुधीर माथुर ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह प्रदान कर उनके गायन गायन को सराहा
प्रकाश एवं कैमरा मनोज स्वामी, संगीत तपेश शर्मा, मंच सज्जा सागर गढ़वाल, जीवितेश शर्मा और अंकित शर्मा नोनू का रहा।
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