जयपुर। प्रमुख शासन सचिव, कृषि नीलकमल दरबारी ने कहा कि
राजस्थान के किसानों के सशक्तिकरण और उनकी आय को दोगुना करने के प्रमुख
उद्देश्य को लेकर राजस्थान सरकार के कृषि विपणन विभाग द्वारा विभिन्न
प्रोजेक्ट्स में निवेश आमंत्रित किए गये हैं। उदयपुर में 7 से 9 नवम्बर तक
होने जा रहे ‘ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट‘ (ग्राम) की दिशा में ये कदम
महत्वपूर्ण साबित होंगे। उन्होंने बताया कि राज्य में कृषि क्षेत्र को पहले
से ही निवेश के ‘थ्रस्ट सेक्टर‘ में घोषित किया जा चुका है। इससे निवेशकों
को राज्य में प्रोजेक्ट्स स्थापित करने पर अतिरिक्त लाभ प्राप्त होंगे।
इसके अतिरिक्त राज्य में “राजस्थान कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि विपणन
प्रोत्साहन नीति, 2015” लागू की जा चुकी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दरबारी ने कृषि में निवेश करने से मिल रही छूट एवं अनुदान के बारे में
जानकारी देते हुए बताया कि अब 100 करोड़ रूपए से अधिक निवेश के प्रोजेक्ट्स
अथवा 250 से अधिक लोगों के लिये रोजगार सृजन करने वाले प्रोजेक्ट्स के लिए
कस्टमाइज पैकेज दिए जा रहे हैं। इसी तरह कृषि प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि क्रय
करने पर स्टाम्प ड्यूटी में 50 प्रतिशत और कृषि भूमि से रूपान्तरण कराने
पर रूपान्तरण शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट उपलब्ध है।
उन्होंने
बताया कि कृषि क्षेत्र में प्रोजेक्ट लगाने के लिए भी अनेक लाभ दिये जा
रहे हैं। जैसे कृषि में सेवा क्षेत्र की यूनिट्स के लिए पांच प्रतिशत का
ब्याज अनुदान देय है। इसके अलावा कृषि यूनिट्स को विद्युत शुल्क और कच्चा
माल खरीदने परमण्डी शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट मिलती है। इसके साथ ही
फलों और सब्जियों को दूरदराज के क्षेत्रों में भेजने और निर्यातकरने पर
अनुदान उपलब्ध है। इसके साथ ही बीज मसालों के सड़क अथवा समुद्र मार्ग से
निर्यात करने पर भी सब्सिडी दी जा रही है। पेटेंंट और डिजाइन के
रजिस्ट्रेशन, क्वालिटी सर्टिफिकेट, रिसर्च और डवलपमेंट, प्रोजेक्ट रिपोर्ट
तैयार करने, आदि के लिए वित्तीय सहायता भी दी जाती है।
प्रमुख
शासन सचिव ने बताया कि राजस्थान में निजी क्षेत्र में कटाई के पश्चात् की
आधारभूत सुविधााएं जैसे वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज और मण्डी यार्ड विकसित
करने के लिए भी अनेक अवसर प्रदान किए जा रहें हैं। इसके अलावा राजस्थान
कृषि विपणन बोर्ड द्वारा ऎसे किसानों के लिए योजना तैयार की है जो उद्यमी
बनना चाहते हैं। इस योजना के तहत स्वयं की कृषि भूमि पर यूनिट स्थापित करने
वाले किसानों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। ये यूनिट्स कुल पूंजी लागत का
50 प्रतिशत अथवा 20 लाख रूपए तक दोनों में से जो भी कम हो की अनुदान राशि
प्राप्त करने की पात्र हैं।
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