ताल चौताल राग दुर्गा में ‘देवि सुरेश्वरि भगवति गंगे‘ गीत से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। इसके पश्चात जीवनदायिनी, मोक्षदायिनी एवं त्रिभुवनतारिणी गंगा नदी का परिचय देते हुए डॉ. कविता ने ताल तीन ताल राग शहाना पर ‘चंचल चाल चपल है मेरी‘ गीत पर मनमोहक नृत्य पेश किया। कार्यक्रम के दौरान भागीरथ की तपस्या, हिमगिरी का वर्णन, गंगा का धरती पर अवतरण, गंगा सागर में विलय होने की महान यात्रा को दर्शाया गया। गंगा की इस यात्रा से आई खुशहाली को लोक धुनों का उपयोग अनोखा था। इसके पश्चात् कलाकारों ने वर्तमान में गंगा नदी की चुनौतियों एवं दुर्दशा का जीवंत प्रदर्शन किया। लोगों में इस आशा एवं विश्वास के संचार के साथ की गंगा के गौरव का फिर से संचार होगा कार्यक्रम का समापन हुआ। प्रस्तुति के दौरान राग पूरिया धनाश्री, राग देस एवं राग बसंत का उपयोग उल्लेखनीय है।
आम चुनाव-2024 : राजस्थान में 12 सीटों पर कम हुआ मतदान, बीजेपी में बेचैनी बढ़ी, 25 में से 25 सीटें जीतना मुश्किल
अमित शाह आज राजस्थान और उत्तर प्रदेश में चुनावी रैली को करेंगे संबोधित
पाकिस्तान में बारिश का कहर, 87 लोगों की मौत, 80 से ज्यादा घायल
Daily Horoscope