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राजस्‍थान के दौसा में बना था.. ऐतिहासिक लालकिले पर फहराया गया पहला तिरंगा

Made in Dausa, Rajasthan .. First tricolor hoisted on historic Red Fort - Jaipur News in Hindi

नीति'गोपेन्द्र'
जयपुर। इस बार का स्वाधीनता दिवस संसद द्वारा जम्मू व कश्मीर से धारा 370 व 35 ए के प्रावधानों को समाप्त करने एवं जम्मू व कश्मीर तथा लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बनायें जाने के मद्देनजर राष्ट्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। विशेषकर इसलिये भी चूंकि अब देश मे एक राष्ट्र, एक ध्वज व एक ही संविधान की अवधारणा को साकार कर दिया गया हैं।

* तिरंगे की कहानी *
आजादी के 72 साल बाद भी लाल किले पर फहराए गए हमारे तिरंगे राष्ट्रीय ध्वज की कहानी बहुत कम लोग जानते है।
राजस्थान के दौसा जिले का एक छोटा सा गांव है-अलूदा। इसी गांव में आजाद भारत का पहला तिरंगा बुना गया था। 15 अगस्त 1947 को जब आधी रात को देश आजाद हुआ था,तब दिल्ली के लाल किले पर फहराए जाने के लिए देश के चार हिस्सों से तिरंगे मंगाए गए थे। इनमें से दौसा के अलूदा गांव के तिरंगे को लाल किले की प्राचीर से पहली बार प्रधानमंत्री के हाथों आकाश में फहरने का मौका मिला था। इस ऐतिहासिक तिरंगे झंड़े को दिल्ली में अब तक भी सुरक्षित रखा हुआ है।

दौसा के बुनकरों की कारीगरी के सब हुए थे कायल...
14अगस्त 1947 की रात को हालांकि देश के अन्य स्थानों से भी तिरंगा दिल्ली मंगवाये गए थे, लेकिन दौसा के बुनकरों की कारीगरी देश के शीर्षस्थ नेताओं को बहुत पसंद आई तथा दौसा के कारीगरों के हाथों बने तिरंगे को पहली बार दिल्ली के ऐतिहासिक लालकिले की प्राचीर से आजाद हवा में लहराने का मौका मिला। यह दौसा के आलूदा गांव का सौभाग्य ही है कि देश की आजादी के समय जो पहला तिरंगा लहराया था उसका कपड़ा दौसा के बनेठा /आलूदा गांव के चौथमल व नानगराम महावर ने बुना था।

दौसा खादी समिति करती है.. तिरंगें का निर्माण....

देश की आनबान व शान तिरंगे झंडे को लेकर दौसा का नाम देश की आजादी के दिन से ही जुड़ गया । देश में सिर्फ तीन जगह ही तिरंगे के कपड़े का निर्माण होता हैं। इनमें महाराष्ट्र में नांदेड़,कर्नाटका में हुबली व राजस्थान में दौसा का नाम शामिल हैं। दौसा खादी समिति इस कपड़े का निर्माण करती हैं। यहां से बोम्बे जाने के बाद वहाँ एक मात्र खादी डायर्स एण्ड प्रिटिंग संस्थान में इस कपड़े से तिरंगा बनाया जाता हैं।

खादी से है पुराना नाता अलूदा गांव का
आजाद हिंदुस्तान का पहला तिरंगा बनाने का श्रेय हासिल करने वाले छोटमल महावर के वंशज बताते हैं कि तिरंगे की खादी बुनने के लिए 15.5 मीटर खादी के कपड़े के लिए हमें 200-225 रु.मिला करते थे।

गाँधीजी ने खोला था चरखा संघ का मुख्यालय
महात्मा गांधी ने आजादी से पहले ऑल-इंडिया चरखा संघ का रीजनल हेडक्वॉर्टर जयपुर के नजदीक गोविंदपुर में खोला था। उस समय इसकी एक इकाई अलूदा गांव में भी स्थापित की गई थी। बताते हैं कि भारत छोड़ो आंदोलन के वक्त बापू ने अलूदा में बुना गया तिरंगा ही फहराया था।
बताते हैं कि गांधीजी ने आजादी के समय अलूदा के खादी केंद्र से तिरंगा बनाकर दिल्ली भेजने को कहा था। इसके अलावा कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में खादी से तिरंगा बनाया गया था,लेकिन अंत में लाल किले पर पहली बार तिरंगा फहराने के लिए अलूदा में बने झंडे को ही चुना गया।
हर बार की तरह इस बार भी 15 अगस्त को पूरा देश आजादी का जश्न मनायेगा। हर घर व दफ्तर पर तिरंगा फहरा कर देशवासी खुद को गौरवान्वित महसूस करेगें तथा देश की आनबान व शान तिरगें को नमन कर आजादी के अमर शहीदों को याद करेगें ।
हमारे देश में हर वर्ष 15 अगस्त एवं 26 जनवरी को राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पूरे देश में फहराया जाता हैं,पर दौसा के हर नागरिक को इन राष्ट्रीय पर्वों पर विशेष कर स्वाधीनता दिवस 15 अगस्त को एक अलग ही अनूभुति होती है,चूंकि दौसा जिला मुख्यालय से मात्र कुछ किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव आलूदा का तिरंगा देश की आजादी का पहला गवाह बना था।



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