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दृष्टिबाधित बच्चों को लैपटाॅप वितरण के साथ उनके आवासीय शिविर का किया शुभारंभ

जयपुर। शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा है कि विशेष शिक्षकों को विशेष आवश्यकता वाले विद्यालयों में ही लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेष में 83 ऐसे विशेष शिक्षक थे जो सामान्य विद्यालयों में लगे हुए थे, उनका पदस्थापन तत्काल प्रभाव से दृष्टिबाधित, मुक-बधिर आदि विशेष आवश्यकता वाले विद्यालयों में करने के निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने प्रदेश के शिक्षकों और अभिभावकों का आह्वान भी किया कि वे स्कूलों में नामांकन वृद्धि के साथ ही विद्यालयों में उतनी ही संख्या में पौधारोपण भी करें ताकि पर्यावरण संरक्षण की पहल हो सके।


डोटासरा आज यहां राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, मालवीय नगर में दृष्टिबाधित बच्चों को लैपटाॅप वितरण एवं उनके आवासीय शिवर के शुभारम्भ के राज्य स्तरीय समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने समारोह में जब देखा कि दृष्टिबाधित बच्चों को सहयोगी मंच पर सीढ़िया चढाकर लेकर आने वाले हैं तो स्वयं मंच से उतरकर उन्होंने ऐसे बच्चों को निकट जाकर उन्हें लैपटाॅप वितरीत किए। उन्होंने सौ दृष्टिबाधित बच्चों को लैपटाॅप दिए जाने के अंतर्गत 30 को स्वयं लैपटाॅप वितरीत किए। उन्होंने कहा कि लैपटाॅप दिए जाने के साथ ही दृष्टिबाधित बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार साॅफ्टवेयर भी उसमें इन्स्टाॅल करके दिया जा रहा है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि पीड़ित मानवता की सेवा हरेक व्यक्ति का धर्म है। उन्होंने दृष्टिबाधित बच्चों की चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा मंत्री बनने के बाद उनका पहला दौरा बीकानेर स्थित नेत्रहीन विद्यालय में ही हुआ था। वहां के बच्चों से संवाद कर, उनकी सृजनात्मक गतिविधियाॅं देखकर कहीं से नहीं लगा कि ये सामान्य बच्चों से कहीं कम हैं। उन्होंने कहा कि दृष्टिबाधित बच्चों को लैपटाॅप देने और उनके लिए इसको चलाने के लिए आवासीय प्रशिक्षण देने की पहल राज्य सरकार ने इसीलिए की है कि इससे वे सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग में भी निपुण हो सके। उन्होंने ऐसे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का आह्वान करते हुए कहा कि दृष्टिबाधित बच्चे शिक्षा के हर क्षेत्र में आगे बढ़े, इसके लिए सभी मिलकर प्रयास करे।

डोटासरा ने कहा कि राज्य सरकार का यह प्रयास है कि विभाग के उपलब्ध मानव एवं भौतिक संषाधनों का अधिकतम उपयोग सभी स्तरों पर सुनिंिष्चत हो। इसके तहत ही 70 उर्दु शिक्षकों को भी उर्दु विषय वाले विद्यालयों में ही पदस्थापित कर उर्दु विषय के बच्चों के षिक्षण की प्रभावी व्यवस्था की गयी है। इसी प्रकार जहा वाणिज्य विषय के अध्यापाकों की जरूरत हैं, उन्हें वहां पदस्थापित करने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार में जन प्रतिनिधि बतौर जनता के ट्रस्टी के रूप में कार्य करते हैं। इसलिए शिक्षकों, अभिभावकों, विद्यार्थियों का कल्याण ही उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।


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Web Title-Launch of their residential camp with lapattap distribution to visually impaired children
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