डॉ. कल्ला ने कहा कि आजकल कई जगह कत्थक जैसी विशुद्ध विद्याओं के साथ मिलावट करते हुए इसको अलग तरह से पेश किया जाता है, यह संस्कृतिक प्रदुषण की श्रेणी में आता है, जो कतई उचित नहीं है। जयपुर घराना कत्थक की परम्पराओं और संस्कृति वैभव को संरक्षण करते हुए अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा है, यह खुशी की बात है।
कत्थक समारोह के उद्घाटन सत्र में जयपुर कथक केंद्र की ओर से डॉ. रेखा ठाकुर के निर्देशन तथा दिल्ली से आई अदिति मंगलदास के निर्देशन में संरचना की प्रस्तुति दी गई। मंगलवार को दूसरे दिन जयपुर कथक केंद्र की ओर से पं. राजकुमार जबड़ा के निर्देशन में संरचना, बनारस के विशाल कृष्ण के निर्देशन में एकल नृत्य तथा लखनऊ के डॉ. कुमकुम धर के निर्देशन में संरचना की प्रस्तुतियां शाम 6 बजे से आयोजित होगी।
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