जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि विश्व की
सर्वाधिक प्राचीन स्वास्थ्य विज्ञान ‘आयुर्वेद‘ भारत की एक अनुपम धरोहर है।
यह मानव कल्याण को समर्पित है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राज्यपाल मिश्र मंगलवार को जोधपुर
के डाॅ. राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय के करवड़ स्थित आईआईटी परिसर सभागार में आयोजित तृतीय दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
राज्यपाल
मिश्र ने कहा कि आयुर्वेद एक सम्पूर्ण जीवन विज्ञान है, जो जीवन के
सभी पक्षों और गतिविधियों को छूता है। आयुर्वेद में पुरूषार्थ चतुष्ट्य
(धर्म, अर्थ, कर्म, मोक्ष) को सार्थक ढंग से प्राप्त करने का वर्णन उपलब्ध
है। आयुर्वेद में वर्णित दिनचर्या, रात्रिचर्या व ऋतुचर्या का आदर्श
व्यवहार व्यक्ति के स्वास्थ्य संरक्षण में मुख्य भूमिका अदा करता है।
आयुर्वेद हमें सद्वत सिखाता है, जो सदाचरण के द्वारा व्यक्ति को मानसिक
बौद्धिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद
ऐसा स्वास्थ्य विज्ञान है जो सबसे पहले स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य
संरक्षण पर जोर देता है, ताकि कोई व्यक्ति बीमार ही न पड़े। उन्होंने कहा कि
मानव कल्याण की भावना से ही हजारों वर्ष पूर्व भारत के चिकित्सा वैज्ञानिक
ऋषि महर्षियों ने विश्व की महानतम समृद्ध भाषा संस्कृत में आयुर्वेद की
लिपिबद्ध रचना की, जो विभिन्न काल-खंडों की चुनौतियों का सामना करते हुए
वैज्ञानिक कसौटियों पर खरी सिद्ध हुई है।
राज्यपाल एवं कुलाधिपति मिश्र ने कहा कि आयुर्वेद की कई औषधियां रसोईघर में उपलब्ध होती है, जो
घरेलू नुस्खों के रूप में भारत के जन जन में लोकप्रिय है। विश्व के विभिन्न
देशों में आयुर्वेद की जड़ी बूटियों पर शोध हो रहा है और वें कैंसर,
डायबिटीज जैसी जटिल बीमारियों में कारगार सिद्ध हुई है। उन्होंने कहा कि
विश्व स्वास्थ्य संगठन का ध्यान भारतीय चिकित्सा की आयुष पद्धतियों पर गया
है। भारतीय ज्ञान चाहे वो अध्यात्म हो, योग हो या आयुर्वेद हो, विश्व में
सभी जगह सम्मान प्राप्त कर रहा है। आप सभी आयुष पद्धतियों के साधकों का
आह्वान करता हूं कि आज के समय की आवश्यकता को समझते हुए समर्पण के साथ से
भारतीय समाज को स्वस्थ और सबल बनाने में अपना योगदान दें। इन प्रयासों से
भारत विश्व शक्ति बनने के साथ साथ विश्वगुरू बनने में भी समर्थ हो सकेगा।
राज्यपाल
ने कहा कि देश के द्वितीय एवं अपनी तरह के पहले आयुर्वेद विश्वविद्यालय की
राज्य में स्थापना होने के बाद आयुर्वेद और आयुष पद्धतियों के विकास के
अवसर बढ़े है। शिक्षण व्यवस्था में सुधार हुआ है। श्रेष्ठ आयुष चिकित्सकों
का निर्माण हो रहा है। विश्वविद्यालय के माध्यम से आयुर्वेद की लोकप्रिय
विधाओं जैसे पंचकर्म, क्षारकर्म, योग इत्यादि की विशिष्ट सेवाओं से
सम्पूर्ण समाज लाभाविन्त हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं विगम
राष्ट्रीय कार्यशालाओं के आयोजन से विश्वविद्यालय देश विदेश में आयुर्वेद
के एक विशिष्ट शिक्षण केन्द्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। इन सब के
लिए यहां के विद्वान शिक्षक एवं प्रशासन बधाई के पात्र है। राज्यपाल ने
कहा कि विश्वविद्यालय अपने योजना के अनुरूप विश्वविद्यालय को श्रेष्ठ
शिक्षण और अनुसंधान के लिए एक केन्द्र के रूप में प्रतिष्ठापित करें।
उन्होंने
कहा कि गत 26 नवंबर को पूरे देश में 70वां संविधान दिवस मनाया गया। मौलिक
अधिकारों की तो हम बात करते हैं, लेकिन आवश्यकता है कि हम हमारें
कत्र्तव्यों को जाने, समझे और उनके अनुरूप ही अपना कार्य और व्यवहार करे।
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आप लोग युवा हैं। राष्ट्र निर्माण में
आपकों महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। इसलिए संविधान में प्रदत्त कर्तव्यों
को आप लोग आचरण में लाकर आगे बढ़े। यदि हम सभी ने ऐसा प्रयास किया तो
निश्चित तौर पर भारत देश को आगे बढ़ाने में और स्वंय के जीवन को भी प्रोन्नत
करने में यह कदम बेहतरीन साबित होगा।
LIVE - आईटीओ इलाके के बाद अब किसानों का नांगलोई में उपद्रव, ट्रैक्टर से तोड़े सीमेंट के बेरिकेट्स, देखें तस्वीरें
दिल्ली में प्रदर्शनकारी किसानों ने किया हंगामा, और फिर पुलिस ने किया लाठीचार्ज, देखें तस्वीरें
किसान रैली : राकेश टिकैत बोले- उपद्रव फैलाने वाले राजनीतिक लोग, जो आंदोलन को खराब करना चाहते है
Daily Horoscope