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जयपुर। राजस्थान सरकार ने "दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 (RPwD Act 2016)" की धारा 57 के तहत दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करने की प्रक्रिया को पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश में राज्यभर के चिकित्सा संस्थानों, अस्पतालों और चिकित्सकों को “सक्षम चिकित्सा प्राधिकारी” के रूप में नामित किया गया है। इन प्राधिकृत संस्थाओं और विशेषज्ञों को विकलांगता के मूल्यांकन और प्रमाणन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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राज्य सरकार के निर्देशानुसार, प्रत्येक अस्पताल या संस्था में एक त्रिसदस्यीय चिकित्सा बोर्ड का गठन अनिवार्य होगा। इस बोर्ड की अध्यक्षता संबंधित अस्पताल या संस्था के प्रमुख करेंगे। शेष सदस्य विशेषज्ञ होंगे, जो दिव्यांगता के प्रकार के अनुसार चयनित किए जाएंगे। बोर्ड प्रमुख की यह भी जिम्मेदारी होगी कि समय पर बैठकें आयोजित हों, मूल्यांकन की रिपोर्ट तैयार हो और उसका अपलोड स्वावलंबन पोर्टल पर किया जाए।
बाधारहित व सुलभ बोर्ड कक्ष की व्यवस्था अनिवार्य
हर संस्थान को निर्देश दिए गए हैं कि दिव्यांगजनों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बाधारहित और सुलभ ‘विकलांगता बोर्ड रूम’ स्थापित किया जाए। साथ ही, रिकॉर्ड्स को सुरक्षित रखने हेतु एक नोडल अधिकारी या विभाग नियुक्त किया जाएगा, जो विकलांगता प्रमाण-पत्र से संबंधित सभी प्रशासनिक कार्यों का समन्वय करेगा।
विशेषज्ञ की अनुपलब्धता पर रेफरल की सुविधा
यदि किसी संस्थान में आवश्यक विशेषज्ञ या जांच सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो मरीज को अनावश्यक देरी और परेशानी से बचाते हुए मामले को उच्च स्तरीय संस्थानों में रेफर करने की अनुमति चिकित्सा बोर्ड को होगी।
विशेष रूप से न्यूरोलॉजिकल मामलों में यदि किसी विशेषज्ञ की राय से प्रमाणन संभव हो तो न्यूरोलॉजिस्ट की आवश्यकता अनिवार्य नहीं होगी। मेडिसिन या बाल रोग विशेषज्ञ की रिपोर्ट के आधार पर भी प्रमाण-पत्र जारी किया जा सकेगा।
तृतीयक स्तर के अस्पतालों को रेफरल की सुविधा
सरकार ने राज्य के प्रमुख तृतीयक चिकित्सा संस्थानों की सूची भी अधिसूचना में जारी की है, जहां आवश्यकता पड़ने पर विकलांगता मूल्यांकन के लिए मरीजों को भेजा जा सकता है। इस सूची में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा, अजमेर, उदयपुर, बाड़मेर, भरतपुर, अलवर, चित्तौड़गढ़, झुंझुनू, करौली, बांसवाड़ा जैसे जिलों के सरकारी मेडिकल कॉलेज शामिल हैं।
सेना अस्पतालों के लिए विशेष प्रावधान
राज्य के सेना अस्पताल (जयपुर और जोधपुर) को सेना के कर्मियों और उनके परिजनों के लिए दिव्यांगता प्रमाण-पत्र जारी करने हेतु अधिकृत किया गया है। यदि इन अस्पतालों में कोई विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं है, तो समीपवर्ती संस्थान से उनकी सेवाएं ली जाएंगी या केस को स्थानांतरित किया जाएगा।
अपील और पुनर्मूल्यांकन हेतु प्रावधान
यदि किसी दिव्यांग व्यक्ति को प्रमाण-पत्र में दी गई जानकारी या मूल्यांकन से असहमति हो, तो वह निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, जयपुर के पास शिकायत या अपील कर सकता है। यह अधिकारी अधिनियम की धारा 59 के तहत अपील अथॉरिटी होगा।
ऑनलाइन प्रक्रिया पर जोर
सभी प्रमाण-पत्र और यूनिक डिसएबिलिटी आईडी (UDID) कार्ड अब स्वावलंबन पोर्टल (www.swavlambancard.gov.in) पर ऑनलाइन जारी किए जाएंगे। इसके लिए प्रत्येक जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, मेडिकल अधीक्षक और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं नियंत्रक को अधिकृत किया गया है।
प्रमाणन में फोरेंसिक विशेषज्ञ की भूमिका
दिव्यांगजन की पहचान और सत्यापन को मजबूत बनाने के लिए आवश्यकता पड़ने पर मेडिकल बोर्ड का प्रमुख फोरेंसिक मेडिसिन विशेषज्ञ को बोर्ड में शामिल कर सकता है।
आदेश भारत सरकार की अधिसूचना के अनुरूप
राजस्थान सरकार का यह आदेश भारत सरकार द्वारा 12 मार्च 2024 को जारी अधिसूचना के अनुरूप है, और इसमें भविष्य में समय-समय पर आवश्यकतानुसार संशोधन किए जाने की संभावना भी जताई गई है।
राजस्थान सरकार का यह आदेश न केवल दिव्यांगजनों को सुविधा, सम्मान और पारदर्शिता प्रदान करता है, बल्कि चिकित्सा संस्थानों को जवाबदेही और संगठनात्मक दक्षता के साथ कार्य करने के लिए बाध्य भी करता है। राज्य सरकार का यह कदम दिव्यांगजनों के अधिकारों को संरक्षित करने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास माना जा रहा है।
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