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एक पिता की आंखों के सामने उजड़ गया सपना, चार महीने पहले ही बने थे जुड़वां बच्चों के पिता
जयपुर/गौरीकुंड। उत्तराखंड के गौरीकुंड के पास रविवार सुबह हुए दर्दनाक हेलिकॉप्टर हादसे ने सात परिवारों को गहरे शोक में डुबो दिया। इस भीषण दुर्घटना में जयपुर के रहने वाले पायलट राजवीर सिंह (37) भी शामिल थे, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे। सेना से लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर होने के बाद राजवीर ने सिविल एविएशन में उड़ान भरी थी, लेकिन यह उड़ान आखिरी साबित हुई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राजवीर का आखिरी संदेश : सुबह लगभग 5:20 बजे, राजवीर ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को आखिरी बार मैसेज किया—"लेफ्ट टर्न ले रहा हूं…" कुछ ही क्षणों बाद उनका हेलिकॉप्टर गौरीकुंड के जंगलों में क्रैश हो गया।
तीन हेलिकॉप्टरों का जत्था उड़ान पर था। दो सुरक्षित लैंड कर गए, लेकिन तीसरे—जिसे राजवीर उड़ा रहे थे—ने काली खाई में अपना संतुलन खो दिया।
"राजवीर नहीं रहे..."— एक पिता की टूटी आवाज
राजवीर के पिता गोविंद सिंह, जो बीएसएनएल से रिटायर्ड हैं, ने भरे गले से बताया—“हमें सुबह 7:30 बजे फोन आया, कि हादसा हो गया है। अफसरों ने बताया कि राजवीर ने लैंडिंग से ऐन पहले ‘लेफ्ट टर्न’ की सूचना दी थी... फिर कोई संपर्क नहीं रहा।”
अभी 4 महीने पहले ही जुड़वां बच्चों का जन्म हुआ था। परिवार जलवा पूजन की तैयारियों में लगा था। घर में खुशियों की लहर थी, लेकिन एक ही सुबह में सब कुछ थम गया।
राजवीर सिंह : एक योद्धा, एक पायलट, एक पिता
राजवीर सिंह ने करीब 14 वर्षों तक भारतीय सेना में सेवा दी। वहां से लेफ्टिनेंट कर्नल के रूप में रिटायर होने के बाद उन्होंने आर्यन एविएशन प्राइवेट लिमिटेड में पायलट के रूप में करियर शुरू किया। पिछले 9 महीनों से केदारनाथ रूट पर हवाई सेवा दे रहे थे।
उनकी पत्नी दीपिका चौहान भी लेफ्टिनेंट कर्नल हैं। दोनों ने 14 साल पहले विवाह किया था। इस साल मार्च में ही वे माता-पिता बने थे। अब वह परिवार, जिसमें अभी जीवन ने करवट ली थी, शोक की स्याही में डूब चुका है।
सैन्य परिवार की असामयिक त्रासदी
राजवीर एक अनुशासित सैन्य परिवार से थे। उनकी दृढ़ता, साहस और कर्तव्यनिष्ठा का उदाहरण थे वे। उनके पिता ने कहा—“हमने कभी नहीं सोचा था कि हेलिकॉप्टर उड़ाना इतना जोखिम भरा होगा। सेना से लौटने के बाद तो सोचा था कि अब जीवन थोड़ा शांत होगा... पर भगवान को कुछ और ही मंजूर था।”
पहचान में कठिनाई, डीएनए से होगी पुष्टि
गढ़वाल रेंज के आईजी (इंस्पेक्टर जनरल) के अनुसार, हादसा इतना भीषण था कि डेड बॉडी की पहचान मुश्किल हो रही है। शवों को DNA जांच के बाद परिजनों को सौंपा जाएगा। टीम को जंगल में दुर्घटनास्थल तक पहुंचने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ी।
राज्य सरकार ने दुर्घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। आर्यन एविएशन ने भी जांच में पूरा सहयोग देने की बात कही है।
राजवीर के बड़े भाई ने मीडिया से कहा—"छोटे भाई की मौत की सूचना के बाद मैं खुद टूट गया हूं..." “राजवीर से आखिरी बात दो दिन पहले हुई थी। वह बहुत खुश था। बच्चों की तस्वीरें भेजी थी। कभी सोचा नहीं था कि अब वो सिर्फ तस्वीरों में ही रहेगा।”
पारिवारिक और राष्ट्रीय क्षति : यह केवल एक पायलट की मौत नहीं है। यह एक पिता, एक पति, एक बेटे और एक देशभक्त का दुखद अंत है। केवल जयपुर नहीं, पूरा राजस्थान और पूरा देश इस दर्द को महसूस कर रहा है।
नरम आवाज में गोविंद सिंह का अंतिम वाक्य..."मेरा बेटा ड्यूटी कर रहा था… देश की सेवा कर रहा था… मुझे उस पर गर्व है… लेकिन मेरे पोतों के माथे से पिता का साया उठ गया… यही सोचकर आंखें रुकती नहीं हैं।”
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