उन्होंने बताया कि राज्य में जैतून और खजूर की खेती की शुरुआत इस
सरकार के गत कार्यकाल में हुई, जब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में
कृषि विशेषज्ञों का एक दल इजरायल गया था। वहां से लौटने के बाद
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश में जैतून और खजूर की खेती करने का
निर्णय लिया। 20 मार्च, 2008 को बस्सी के ढिंढोल फार्म पर जैतून के प्रथम
पौधे का रोपण किया गया। राज्य के 7 कृषि जलवायु खंडों में इसका प्रायोगिक
रोपण किया गया। यह प्रयोग सफल हुआ और राज्य में जैतून लहलहाने लगा। राज्य
में जैतून अरबेक्विना, बरनियर, फ्रंटोयो, कोर्टिना, कोलोनाइकी, पासोलिन,
पिकुअल किस्मों का पौधरोपण किया गया था। राजस्थान द्वारा नेपाल सहित देश के
11 राज्यों को जैतून पौधों की आपूर्ति की जा रही है। उन्होंने बताया कि
बीकानेर जिले के लूणकरणसर में इस सरकार के कार्यकाल में जैतून की पहली
रिफायनरी स्थापित की गई। राज्य सरकार द्वारा राज ऑलिव के नाम से जैतून के
तेल का विपणन भी किया जा रहा है। ये भी पढ़ें - यहां दीपक की लौ के रूप में आकर स्थापित हुईं मां चामुंडा
राजस्थान को मिला जैतून की प्रस्संकृत चाय बनाने का गौरवराज्य
सरकार ने जैतून उत्पादक किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए इसकी
पत्तियों के विपणन और प्रसंस्करण के लिए सरकार द्वारा जैतून की चाय बनाने
के लिए ओलिटिया फूड्स कंपनी ने सरकार के साथ एमओयू किया है। कंपनी ने जयपुर
जिले के बस्सी में जैतून पत्तियों की चाय का संयत्र स्थापित कर विश्व की
पहली प्रसंस्कृत चाय का उत्पादन शुरू किया। इसके साथ ही राज्य में खजूर और
किनवा जैसी गैर परम्परागत फसलों का सफलतापूर्वक उत्पादन लिया जा रहा है।
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