जयपुर। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की पहल पर राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में सिवायचक भूमि पर निर्माण किए गए भवनों को पट्टे जारी करने के लिए विशेष आदेश जारी किए हैं। आदेश के अनुसार 1 जनवरी 2017 से पूर्व अधिवासित सिवायचक भूमि को आबादी विस्तार के लिए ग्राम पंचायत को सेट अपार्ट किया जाएगा। ग्राम पंचायतें इन जमीन पर पूर्व में निर्मित गृहों के पट्टे जारी कर सकेंगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 92 के प्रावधानों के तहत पूर्व में रिक्त सिवायचक भूमि ही ग्राम पंचायतों को आबादी विस्तार के लिए आवंटित की जाती थीं तथा जिन सिवायचक भूमियों पर आवास का निर्माण हो चुका है, उन्हें आबादी विस्तार के लिए पंचायत को आवंटित नहीं किया जाता था। इससे ग्रामीण जन पट्टे के अभाव में सभी राजकीय सुविधाओं से वंचित रहे जाते थे, साथ ही बैंक से ऋण, बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन आदि कार्य भी नहीं करवा पाते थे।
राज्य सरकार ने जनता की इस गंभीर समस्या को समझते हुए यह आदेश जारी किया है कि जिन ग्रामीण क्षेत्रों में सिवायचक भूमि पर ग्रामीणों ने 1 जनवरी 2017 से पूर्व आवास का निर्माण कर लिया है तथा उनके पास राशनकार्ड, मतदाता पहचान पत्र, बिजली का बिल, पानी का बिल, टेलीफोन का बिल आदि में से कोई भी दस्तावेज हो, उन सभी का सर्वे कर ऐसी बसावट वाली भूमि आबादी विस्तार के लिए ग्राम पंचायत को सेट अपार्ट की जाएगी।
ग्राम पंचायत इन भूमियों पर पंचायती राज के नियमानुसार पट्टे जारी सकेंगी। एक परिवार को अधिकतम 300 वर्गगज या वास्तविक क्षेत्रफल का ही पट्टा जारी किया जा सकेगा। राज्य में विशेष अभियान चलाकर भूमि सेट अपार्ट करने एवं पट्टे जारी करने का कार्यक्रम संपादित किया जाएगा। इस आदेश के तहत चरागाह, नदी, नाले, नाड़ी तथा अन्य श्रेणी की प्रतिबन्धित भूमि सेट अपार्ट नहीं की जाएगी।
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