जयपुर। राज्य विधानसभा ने बुधवार को राजस्थान राज्य विद्युत वितरण प्रबन्ध उत्तरदायित्व (संशोधन) विधेयक, 2017 ध्वनिमत से पारित कर दिया। ऊर्जा राज्य मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह ने विधेयक सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 तक प्रदेश में विद्युत की छीजत 30 प्रतिशत से अधिक थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में प्रदेश में विद्युत छीजत में कमी आई है। साथ ही राजस्थान में एक भी 11 केवी का ऎसा फीडर नहीं है, जिसकी मीटरिंग न हो रही हो। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सिंह ने कहा कि पूर्व में 83 कस्बों के लिए ही एनर्जी ऑडिटिंग के प्रावधान थे, लेकिन अब उदय योजना के तहत 5 हजार और इससे अधिक आबादी के हर कस्बे की ऑडिटिंग और मॉनिटरिंग की जाएगी। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि अगले वर्ष जून-जुलाई तक ऑडिटिंग पूरी कर ली जाएगी। इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए परिचालित करने एवं प्रवर समिति को निर्देशित करने के संशोधित प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।
उल्लेखनीय है कि धारा 4 ट्रांसफॉर्मर स्तर पर ऊर्जा वितरण के लेखों के लिए उपबंध करती है। इस आवश्यकता को उदय योजना के अधीन पुनरीक्षित किया गया है, इसलिए धारा 4 के खंड (ग) में संशोधन करके इस आवश्यकता को हटाया गया है। स्टेट लोड डिस्पेच सेंटर स्थापित करने का उपबंध विद्युत अधिनियम, 2003 में है। इसलिए धारा 4 का खंड (छ) हटाया गया है। अधिनियम की धारा 6 के अधीन वित्त पोषण साधन गठित करने का प्रयोजन कम लागत पर उधार लेकर निधियां जुटाना था, लेकिन यह बात सामने आई कि ऎसा करना कर-क्षम नहीं होगा, इसलिए धारा 5 की उपधारा (2) और धारा 6 से संबंधित उपबंधों को भी हटाया गया है।
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