जयपुर। राजस्थान में आदर्श आचार संहिता लागू होने के साथ ही मंत्रालयिक कर्मचारियों का 20 सितंबर से चल रहा महापड़ाव 18 दिन बाद भाजपा मुक्त राजस्थान की शपथ के साथ समाप्त हुआ। इससे पूर्व राज्य सरकार के निर्देशों पर पुलिस प्रशासन ने लोकतंत्र की हत्या करते हुए मंत्रालयिक कर्मचारियों को अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करने से रोका गया। गौरतलब है कि मंत्रालयिक कर्मचारी अपनी व्यथा सुनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा में अजमेर जाने वाले थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज सक्सैना ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा मंत्रालयिक कर्मचारियों के साथ एक बार फिर छल किया गया है। 5 सितंबर की रात्रि राजस्थान सरकार के मंत्री यूनुस खान ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जिला कलेक्टर जयपुर को दबाव में लाकर मंत्रालयिक कर्मचारियों को झूठे समझौते का आश्वासन दिया और सुबह होते ही समझौते से मना कर दिया। राजस्थान का प्रत्येक कर्मचारी राज्य सरकार के झूठे समझौतों और आश्वासनों से आहत हो गया है और बार-बार मिले धोखे का परिणाम राज्य सरकार को आगामी चुनाव में भुगतना होगा।
प्रदेश महामंत्री रमेश चंद शर्मा, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष राज सिंह चौधरी, विजय सिंह राजावत, कमलेश शर्मा और जितेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अजमेर दौरे पर शांतिपूर्वक ढंग से अपनी मांग रखने के लिए जा रहे मंत्रालयिक कर्मचारियों के प्रतिनिधिमंडल को राज्य सरकार के दमनात्मक रवैये के कारण पुलिस प्रशासन ने रोका दिया। कर्मचारियों के साथ पुलिस प्रशासन ने बदसलूकी भी की।
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