जयपुर। राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा है कि गार्ड ऑफ ऑनर के प्रावधान उनके लिए नहीं किए जाएं। उन्होंने इस संबंध में राज्य सरकार को अपनी इच्छा से अवगत करा दिया है। राज्यपाल की ओर से राज्य सरकार को इस आशय का पत्र भी भेजा गया है। सिंह ने इस कदम की शुरुआत 9 जून से ही कर दी है। 9 से 11 जून की अपनी जोधपुर यात्रा के दौरान राज्यपाल ने स्वयं के लिए गार्ड ऑफ ऑनर की परंपरा को विराम दे दिया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राज्यपाल सिंह ने गार्ड ऑफ ऑनर से स्वयं को अलग करने का ऎतिहासिक निर्णय लेकर प्रोटोकॉल की परिपाटी की लकीर से हटकर एक नजीर पेश की है। राज्यपाल सिंह ने गार्ड ऑफ ऑनर नहीं लेने की इच्छा जताते हुए राज्य सरकार को गत एक जनवरी 2018 को पत्र भेजा था। पत्र में राज्यपाल ने पूछा कि क्या राजभवन में आगमन व प्रस्थान के वक्त और राज्य में जिलों के दौरे के दौरान आगमन व विदाई के समय सम्मान के लिए दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर की परंपरा व प्रोटोकॉल को समाप्त किया जा सकता है? राज्यपाल ने इस संबंध में गृह विभाग से आवश्यक नियमों एवं प्रक्रियाओं के संबंध में पूर्ण विवेचन के साथ टिप्पणी मांगी थी।
राज्यपाल के इस पत्र के क्रम में राज्य सरकार के गृह विभाग की ओर से 11 मई 2018 को भेजे जवाब में कहा गया कि राज्यपाल की इच्छा के अनुरूप उन्हें प्रदान किए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर (सम्मान गार्ड) की प्रथा को समाप्त किया जा सकता है।
सिंह ने राज्य सरकार की इस टिप्पणी के आधार पर गार्ड ऑफ ऑनर की प्रथा को समाप्त करने के लिए 13 जून को अपनी सहमति प्रदान कर दी है। राज्यपाल सिंह की इस सहमति से राज्य सरकार को अवगत कराने के लिए 14 जून को पत्र भेज दिया गया है। अब राज्यपाल सिंह के लिए राजभवन से प्रस्थान व आगमन और विभिन्न जिलों के दौरों के दौरान गार्ड ऑफ ऑनर के प्रावधान नहीं किए जाएंगे।
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