जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने कहा है कि भाजपा सरकार प्रदेश में किसानों की विषम आर्थिक स्थिति, आत्महत्या जैसी घटनाओं, त्यौहारी सीजन और बुआई के लिए खाद-बीज की जरूरतों के सवाल पर आंख मूंद कर बैठी है। बाजरा उत्पादन से आशान्वित किसान को भी अब तक निराशा ही हाथ लगी है। न्यूनतम समर्थन मूल्य 1950 रुपए प्रति क्विंटल से कम कीमत पर बाजरा बेचने के लिए मजबूर किसानों को प्रति क्विंटल 500-600 रुपए तक की आर्थिक हानि हो रही है। सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) पर बाजरे की खरीद की अब तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है, राज्य सरकार को तत्काल खरीद केन्द्र खोलकर बाजरे की खरीद व्यवस्था शुरू करनी चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में लगभग 40 लाख मैट्रिक टन बाजरे का उत्पादन हुआ है। भाजपा सरकार ने अब तक न तो बाजरा खरीदने की जरूरत समझी और न ही इसके लिए कोई तैयारी की। प्रदेश में हुए कुल उत्पादन के यदि 30 प्रतिशत (12 लाख मैट्रिक टन) बाजरे की ही खरीद की व्यवस्था की जाती तो इससे लगभग 7 लाख किसान लाभान्वित होते।
गहलोत ने कहा कि केन्द्र सरकार ने चार माह पहले एम.एस.पी. में 97 प्रतिशत की वृद्धि कर बाजरे का खरीद मूल्य 1950 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित तो कर दिया था, परंतु आज तक खरीद की कोई व्यवस्था नहीं कर किसानों को भ्रमित करने का ही काम किया है। किसानों को बाजरा के घोषित समर्थन मूल्य के बजाय 1300-1400 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जो किसानों की आय दुगनी करने के दावे करने वाली सरकार की पोल खोलने के लिए काफी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय प्रदेश में पहली बार समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद की गई थी। फिलहाल समर्थन मूल्य घोषित होने के बाद भी बाजरे की खरीद नहीं होने से किसान मारा-मारा फिर रहा है।
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