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फर्जी नामातंरण मामला : RAS, तहसीलदार, पूर्व IAS सहित कई अधिकारी-कर्मचारियों पर केस

jaipur news : Fake nomination case in jaipur : Case on many officers and employees including RAS, Tehsildar, former IAS - Jaipur News in Hindi

जयपुर। फर्जी दस्तावेजों से वसीयत बनाकर करोड़ों की जमीन का फर्जी नामांतरण खोलने के मामले में एक आरएएस, तहसीलदार समेत एक पूर्व आईएएस, दो पूर्व आरएएस, पूर्व तहसीलदार, पूर्व सरपंच एवं अन्य और चार कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। यह मामला राजधानी जयपुर के विधायकपुरी थाने में धारा 192, 201, 217, 218, 219, 420, 467, 468, 471, 120 बी के तहत कोर्ट के इस्तागासे के जरिये दर्ज कराया गया है। यह मामला शास्त्री नगर निवासी पीड़िता गायत्री देवी (55) ने दर्ज कराया है। पुलिस इस मामले में जांच-पड़ताल कर रही है।

इस मामले में तत्कालीन राजस्थान भू प्रबंध आयुक्त विक्रम सिंह, पूर्व भू प्रबंध अधिकारी जयपुर ब्रज भूषण बारेठ और पूर्व भू प्रबंध अधिकारी और वर्तमान में नागौर जिला परिषद के सीईओ केसर लाल मीणा समेत अन्य 4 और अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। इनके अलावा शिवदासपुरा ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच मोहन लाल मीणा, भू प्रबंध विभाग के तत्कालीन भू मापक अधिकारी श्रवण लाल यादव, तत्कालीन भू मापक ओमप्रकाश तिवाड़ी, पूर्व भू निरीक्षक शंकर लाल वर्मा, चाकसू के पूर्व तहसीलदार रामोतार गोठवाल और असिस्टेंट सेटलमेंट ऑफिसर हनुमान प्रसाद चावला पर भी आरोप लगाए हैं।

हालांकि आरएएस अधिकारी केसर लाल मीणा, नायाब तहसीलदार श्रवण लाल यादव और असिस्टेंट सेटलमेंट ऑॅफिसर हनुमान प्रसाद चावला को छोड़कर बाकी सभी अधिकारी हाल ही सेवानिवृत हो चुके हैं।

यह है मामला

दरअसल, मामला जनवरी 2012 का है। शास्त्री नगर की शिवाजी नगर कच्ची बस्ती निवासी पीड़िता गायत्री देवी की शिवदासपुरा के खेड़ा जगन्नाथपुरी गांव में तीन बीघा जमीन थी, लेकिन पीड़िता के पड़ोसी आरोपी राधेश्याम ज्याघा और उसकी मां किशोरी देवी ने फर्जी तरीके से जमीन के दस्तावेज बनाकर वसीयत तैयार करवा ली। आरोपियों ने यह फर्जी वसीयत परिवादी के पिता के फर्जी हस्ताक्षर कर बनाई और रिकॉर्ड में भी दर्शा दिया। इस बारे में पीड़िता को भनक तक नहीं लगी।

पीड़िता गायत्री देवी को मामले का पता उस समय चला, जब आरोपी तीन बीघा जमीन को फर्जी नामांतरण के आधार पर अपना बताते हुए बेचने के प्रयास में जुट गया और उन्हें वहां से बेदखल करने लगा। इसके बाद पीड़िता ने शिवदासपुरा थाने में आरोपियों के खिलाफ पहले फर्जी वसीयत का मामला दर्ज कराया, जिसकी जांच अभी भी जारी है। लेकिन पुलिस ने मामले की जांच-पड़ताल की तो तमाम साक्ष्यों के आधार पर सामने आया कि आरोपियों ने फर्जी वसीयत के साथ-साथ जमीन का फर्जी नामांतरण भी खुलवाया हुआ है।

अधिकारियों की मिलीभगत आई सामने

आरोपी राधेश्याम ज्याघा और उसकी मां किशोरी देवी ने जमीन का यह फर्जी नामांतरण शिवदासपुरा ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच मोहन लाल मीणा, भू प्रबंध विभाग के तत्कालीन भू मापक अधिकारी श्रवण लाल यादव, तत्कालीन भू मापक ओमप्रकाश तिवाड़ी, पूर्व भू निरीक्षक शंकर लाल वर्मा, चाकसू के पूर्व तहसीलदार रामोतार गोठवाल और असिस्टेंट सेटलमेंट ऑफिसर हनुमान प्रसाद चावला की मिलीभगत से खुलवाया। खास बात यह है कि आरोपियों ने पीड़िता गायत्री देवी का रेवेन्यू रिकॉर्ड को गायब कर महज एक ही दिन में अनरजिस्टर्ड बिल के आधार पर नामांतरण खोल दिया।

यूं हुआ खुलासा

आरोपियों की कारगुजारी उस वक्त सामने आ गई, जब पीड़िता का गायब किया गया रेवेन्यू रिकॉर्ड तहसील चाकसू में पाया गया, जिसे आरोपियों ने फर्जी तरीके से गायब दिखाया था। यही नहीं आरोपियों ने नामांतरण के लिए मूल आवेदन, वसीयत की मूल कॉपी, पीड़िता के पिता के फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र की मूल कॉपी लगा दी। खास बात तो यह है कि आरोपियों ने अधिकारियों की मिलीभगत से यह नामांतरण ग्राम पंचायत शिवदासपुरा में खोला जाना बताया। लेकिन जांच में सामने आया कि जिस मीटिंग में नामांतरण खोला जाना दिखाया, उस दिन ग्राम पंचायत की मीटिंग में 1 से लेकर 20 तक उक्त जमीन का नामांतरण नहीं खोला गया।

उच्च अधिकारियों ने निकाला बचाव का रास्ता

आरोपियों की पोल खुलने के बाद पीड़िता ने इसकी शिकायत उस समय के तत्कालीन राजस्थान भू प्रबंध आयुक्त विक्रम सिंह, पूर्व भू प्रबंध अधिकारी जयपुर ब्रज भूषण बारेठ, पूर्व भू प्रबंध अधिकारी और वर्तमान में नागौर जिला परिषद के सीईओ केसर लाल मीणा से की। लेकिन आयुक्त विक्रम सिंह ने अपने अधिकारियों का बचाव करते हुए जांच के नाम पर मामला रफा-दफा कर दिया। हारकर पीड़िता शिवदासपुरा थाने पहुंची, लेकिन हाईप्रोफाइल मामला होने के कारण पुलिस ने भी रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इस पर पीड़िता ने कोर्ट के इस्तागासे के जरिये विधायकपुरी थाने में मामला दर्ज कराया।

मंत्री से भी नहीं मिली मदद

खास बात यह है पीड़िता अपनी शिकायत को लेकर कई साल से न्याय की गुहार लिए संतरी से मंत्री तक के चक्कर काट चुकी थी। मामला दर्ज नहीं किए जाने पर पीड़िता ने कई बार राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी के पास गुहार लगाई, लेकिन उसकी पीड़ा किसी ने नहीं सुनी। पीड़िता गायत्री देवी लकड़ी बेचकर अपना भरण पोषण कर रही है।

जांच अधिकारी दिनेश चंद का ये है कहना

हां, अभी कोर्ट के जरिये मामला दर्ज हुआ है, इसकी जांच-पड़ताल की जा रही है।

राजस्थान राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी का ये है कहना

ऐसे बहुत मामले सामने आते रहते हैं। पीड़िता आई तो होगी, याद नहीं, अब यह फौजदारी का मामला है। इसके लिए गृहमंत्री से ही बात कीजिए।

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