जयपुर। प्रदेश में होने वाले विधानसभा आम चुनाव-2018 में इस बार निर्वाचन विभाग ने पेड न्यूज, फेक न्यूज और मतदाताओं को लुभाने वाले संदेहास्पद विज्ञापनों पर कड़ी नजर रखने के लिए खास योजना बनाई है। भारत निर्वाचन आयोग से मिले निर्देशों और निर्वाचन विभाग के एक्शन प्लान के तहत मुख्य निर्वाचन अधिकारी अश्विनी भगत की पहल पर प्रदेश के सभी जिलों में एमसीएमसी (मीडिया सर्टिफिकेशन एंड मॉनिटरिंग कमेटी) बनाई गई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भगत ने बताया कि प्रदेश में स्वतंत्र-निष्पक्ष-शांतिपूर्ण और समावेशी मतदान कराना विभाग की जिम्मेदारी है। इसी कड़ी में प्रदेश के सभी 33 जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारी की अध्यक्षता में एमसीएमसी का गठन कर दिया गया है। कमेटी का काम चुनाव की अधिघोषणा के साथ और उम्मीदवारों के नामांकन के साथ ही शुरू हो जाएगा। कमेटी उम्मीदवारों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित समाचारों पर कड़ी निगरानी रखेगी।
कैसे काम करती है कमेटी
कोई भी खबर, विज्ञापन या प्रचार-प्रसार के तरीके को पेड न्यूज की
श्रेणी में आने पर मामले को कमेटी रिटर्निंग अधिकारी तक पहुंचाती है। सही
पाए जाने पर रिटर्निंग अधिकारी उम्मीदवार को नोटिस देकर उस बारे में जवाब
मांग सकता है। जवाब से असंतुष्ट होने पर मामले को राज्य स्तरीय कमेटी को
भेजा जाता है और उसी के निर्णय के अनुसार उस पेड न्यूज का खर्चा डीपीआर रेट
पर उम्मीदवार के खर्चे में जोड़ा जाता है।
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