जयपुर। जवाहर कला केन्द्र में चल रहे बच्चों के लिटरेचर फेस्टिवल ‘बुकरू’ के दूसरे संस्करण का रविवार को समापन हुआ। आखिरी दिन और रविवार का अवकाश होने से लगभग 1500 बच्चों और विजिटर्स ने साहित्य से जुडे़ सेशंस और गतिविधियों में भाग लिया। बच्चों ने स्पीकर्स के साथ रोचक तरीके से विभिन्न स्थानों के इतिहास और साहित्य के बारे में जानकारी ली। गौरतलब है कि ‘बुकरू’ में गत दो दिन में पांच देशों के 23 स्पीकर्स ने 55 विभिन्न सेशंस में भाग लिया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गीता-एन अमेजिंग एडवेंचर सेशन में बच्चों की कहानियां लिखने वाली कथाकार बंगलुरू की रूपा पाई ने 2500 वर्ष प्राचीन गीता के इतिहास और वर्तमान समय में इसके उपयोग के बारे में बच्चों को जानकारी दी। सेशन की शुरुआत में उन्होंने बच्चों को माइथोलॉजी के बारे में बताते हुए कहा कि माइथोलॉजी बताती है कि हम क्या हैं, संस्कृति के रूप में हम किसमें विश्वास करते हैं और हमारे मनुष्य होने का क्या उद्देय है? उन्होंने आगे बताया कि यह एपिक एक लम्बी कविता के रूप में है, जो नायक रूपी चरित्रों की महान कार्यों के बारे में बताती है। उन्होंने बताया कि गीता कविता के रूप में लिखी गई है, ताकि इसे आसानी से याद रखा जा सके, क्योंकि प्राचीन समय में इतिहास को मौखिक रूप से आगे पहुंचाया जाता था। एक लाख श्लोकों वाले महाभारत और 24 हजार श्लोकों वाले महाकाव्य रामायण की चर्चा करते हुए रूपा ने बताया कि लोकप्रिय ग्रीक एपिक्स ओडेसी और इलियड दोनों में कुल मिला कर मात्र 12 हजार छंद है, अतः हमें अपने गौरवशाली इतिहास और साहित्य पर गर्व करना चाहिए।
कठपुतलियों और उंगुलियों से बताई कहानी
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