जयपुर। जयपुर के सिटी पैलेस में आयोजित किए जा रहे समर ट्रेनिंग कैम्प (संस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर) के तहत लोक गीत व लोक नृत्य की कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। ‘पाणिग्रहण संस्कार’ थीम पर यह समर कैम्प महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय संग्रहालय, रंगरीत आर्ट स्कूल और सरस्वती कला केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
लोकगीत एवं लोक नृत्य की इन कार्यशालाओं का उद्देष्य वर्तमान पीढ़ी को राज्य के सांस्कृतिक मूल्यों के बारे में जागरूक करना और यह सुनिश्चित करना है कि पारंपरिक रस्म एवं रिवाज आगामी पीढ़ियों तक पहुंचें। समर कैम्प के समन्वयक रामू रामदेव ने यह जानकारी दी।
लोक गीत कार्यशाला
लोक गीत कार्यशाला में 7 से 16 वर्ष की आयु के करीब 35 प्रतिभागी राजस्थानी विवाह के पारंपरिक गीत सीख रहे हैं। प्राचीन काल में पूर्वजों द्वारा विभिन्न अवसरों पर और विशेष रूप से शादियों में इन गीतों को गाया जाता था। समय के साथ ये रस्में समाप्त होती जा रही हैं। इस कार्यशाला की प्रशिक्षक परवीन मिर्जा ने बताया कि वर्तमान पीढ़ी को हमारी प्राचीन संस्कृति का अहसास कराना और इसका आनंद लेने के लिए प्रोत्साहित करना इस कार्यशाला का उद्देश्य है। इसके प्रतिभागियों को विवाह की हल्दी, मेहंदी एवं अन्य रस्मों से संबंधित कई लोकप्रिय गीत सिखाए जा रहे हैं। इनमें घूमर, बाजूबंद री लूम, छोटी सी उमर परणायो रे बाबोसा कुछ प्रमुख लोक गीत हैं। कार्यशाला में प्रतिभागियों को उनके माता-पिता एवं दादा-दादी को साथ लाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि वे भी अपने-अपने पारंपरिक गीतों को साझा कर सकें।
लोक नृत्य कार्यशाला
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