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क्राफ्ट को मूल स्वरूप में संजोकर रखना बड़ी चुनौती : पांडे

जयपुर। राजस्थान ललित कला अकादमी एवं भारतीय शिल्प संस्थान जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी एवं कला प्रदर्शनी के दूसरे दिन गुरुवार को विभिन्न कला विशेषज्ञों ने लोक एवं जनजातीय कलाओं के सरंक्षण और संवर्धन पर परिचर्चा की। विभिन्न सत्रों के दौरान कलाविदों ने जनजातीय कलाओं को भारतीय सभ्यता एवं आम जनजीवन का अभिन्न अंग बताया, बल्कि उन्हें आज के आधुनिक तौर-तरीकों से संरक्षित किए जाने की भी आवश्यकता जताई। इस दौरान अकादमी संकुल परिसर में लगाई गई फोक एंड ट्राइबल आर्ट एग्जिबिशन का भी कलाप्रेमियों ने अवलोकन कर कलाकारों की कृतियों की सराहना की। राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव डॉ. सुरेन्द्र कुमार सोनी ने बताया कि संगोष्ठी के दौरान सत्र ‘कन्टेम्पराइजिंग इंजीनियस क्राफ्ट्स थ्रू स्टाइल एंड लग्जरी इन्टरप्रिटेशन्स’ को फ्रांस से आईं आर्ट क्यूरेटर वेण्डी गेयर, बड़ौदा से प्रो. जयराम पौडवाल, आर्ट कन्सल्टेन्ट सारिका नारायण तथा निवेदिता नारायण ने संबोधित किया। आर्ट क्यूरेटर वेण्डी गेयर ने सिरेमिक आर्ट के प्राचीनतम स्वरूप के साथ ही सिरेमिक आर्ट की आधुनिक तकनीक पर विस्तार से परिचर्चा की। आर्ट कन्सल्टेन्ट सारिका नारायण ने कहा कि फोक एण्ड ट्राइबल आर्ट के कारीगरों को अपना बाजार खुद तलाशना चाहिए, खासकर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उन्हें अपनी कृतियों को प्रदर्शित कर बेचना चाहिए। इस बारे में उनमें अवेयरनेस फैलानी होगी, ताकि वे अपनी कलाकृति का अधिकतम मूल्य प्राप्त कर सकें। उन्होंने दिल्ली के खान मार्केट का उदाहरण देते हुए कहा कि वह स्थान दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा रिटेल मार्केट है, जहां तक पहुंच बनाने पर कलाकार अपनी कृति को ज्यादा से ज्यादा दाम में बेच सकता है। ऐसे स्थानों तक आर्टिजन्स को एप्रोच बढ़ानी चाहिए। सारिका नारायण ने आर्टिजन्स और डिजाइनर्स के बीच पार्टनरशिप डवलप करने पर भी जोर दिया। दोपहर के सत्र ‘एक्सपीरियन्स ऑफ आर्चीविंग शोकेसिंग फोक एण्ड ट्राइबल आर्ट’ में जयपुर के बृज भसीन, भूपेश तिवारी, सुमन पाण्डे एवं रेखा भटनागर ने पत्रवाचन कर अपने-अपने प्रजेंटेशन दिए। रेखा भटनागर ने अपनी प्रजेंटेशन ‘एप्रीसिएशन ऑफ फोक आर्ट’ के प्रस्तुतीकरण में लोक एवं जनजातीय देवी-देवताओं के प्रति आस्थाओं के कलात्मक पक्ष पर प्रकाश डाला। उन्होंने डिजाइन, पैटर्न और कलर्स के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की और कहा कि राजस्थान में सवाईमाधोपुर, मण्डावा आदि स्थान ऐसे हैं, जहां लोक कलाएं समृद्ध हैं और वहां के समाज ने इन प्राचीन विधाओं को अब तक जीवन्त बनाए रखा है। मोलेला आर्ट पर रेखा भटनागर ने कहा कि ट्राइबल लाइफ में यह आर्ट बहुत गहरा असर रखती है और खुले देवस्थानों पर इनकी बहुतायत पाई जाती है। उन्होंने आस्था, परम्परा और लोक कला के संरक्षण में महिलाओं की भूमिका पर भी बात की, वहीं भोपा जनजाति द्वारा फड़ वाचन को भी कला संरक्षण की दिशा में एक सशक्त माध्यम बताया।

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Web Title-jaipur news : Big challenge to save Kraft in original form : Pandey
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