जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के विधि व मानवाधिकार विभाग के प्रदेशाध्यक्ष सुशील शर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार के बजट से वकील समुदाय में निराशा व आक्रोश है। राजस्थान सरकार ने देश की आजादी के आंदोलन में लड़ने वाले अधिवक्ताओं की मांगों को नकार दिया है, जबकि लगातार राज्यभर के अधिवक्ता, बार एसोसिएशन, बार काउन्सिल व कांग्रेस का विधि व मानवाधिकार विभाग सरकार से मांग करता आ रहा है कि बेहतरीन न्याय व्यवस्था बनाने के लिए यह आवश्यक है कि अधिवक्ताओं की समस्याओं का समाधान हो। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि इस बजट में न तो वेलफेयर फंड में कोई अनुदान दिया गया है और न ही कोई अन्य मांग पूरी की गई है। पिछली कांग्रेस सरकार ने वेलफेयर फंड में 11 करोड़ रुपए आवंटित किए थे और जयपुर-जोधपुर में अधिवक्ता भवन के लिए स्थान व आर्थिक अनुदान जारी किया था। राज्यभर में अधिवक्ताओं के चैम्बरों के लिए अनुदान दिया और जोधपुर तथा कोटा में वकीलों के लिए आवासीय कॉलोनी बनाई थी, लेकिन भाजपा सरकार ने चार साल में एक भी मांग पूरी नहीं की।
शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री के नाम भेजे ज्ञापन में वेलफेयर फंड में 20 करोड़ रुपए का आर्थिक अंशदान देने, उपभोक्ता मंचों में अध्यक्ष पद के 50 प्रतिशत पद अधिवक्ताओं के लिए आरक्षित करने, राजस्व न्यायिक सेवा का गठन करने, राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों पर अधिवक्ताओं को टोल मुक्त करने, अधिवक्ताओं के लिए रियायती दरों पर आवासीय कॉलोनी बनाने, अधिवक्ताओं के चैम्बर्स के लिए वित्तीय स्वीकृति जारी करने, आरपीएससी-मानवाधिकार आयोग, सूचना आयोग व विभिन्न ट्रिब्यूनल्स में प्रतिनिधित्व दिए जाने, राज्य की बार एसोसिएशनों में केन्द्रीय लाइब्रेरी के लिए आर्थिक अनुदान देने, वकीलों की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट बनाने तथा अजमेर में अधिवक्ता भवन बनाने के लिए स्थान व आर्थिक अनुदान देने की मांग की गई है।
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