जयपुर। इस समय राजा से लेकर प्रजा तक महल व झोपड़ी में रहने वाले सभी लोग दुखी नजर आ रहे हैं। लोगो को मानसिक शांति नही है। तकलीफ कैसे दूर होगी? लडाई-झगड़ा, झूठ-फरेब, बीमारी, कुदरती कहर, महामारी, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, सूखा और अकाल इनसे कैसे छुटकारा मिलेगा। इस गैर जानकारी में लोग भटक रहे हैं। सच्चा रास्ता लोगों को नहीं मिल रहा है। ये उद्गार बाबा जयगुरुदेव महाराज के आध्यातमिक उत्तराधिकारी बाबा उमाकांत महाराज ने सात दिवसीय अखंड जयगुरुदेव ध्वनि जाप कार्यक्रम के समापन अवसर पर व्यक्त किए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बाबा उमाकांत महाराज ने कहा कि जयगुरुदेव नाम हमारे गुरु महाराज द्वारा जगाया हुआ नाम है। संत सतगुरु जब जीव का काम करने के लिए धरती पर आते हैं तो एक वर्णनात्मक नाम जगाते हैं। जब इसका मतलब लोग समझ जाते हैं तभी बोल कर अमल करके फायदा उठा पाते हैं, जैसे कुछ दिन पहले राधास्वामी महाराज आए, उन्होंने राधास्वामी नाम जगाया। राधा मानें सूरत और स्वामी मानें कुल मालिक, सबका सिरजनहार, सतपुरुष।
इसी प्रकार जयगुरुदेव नाम को हमारे गुरु महाराज ने जगाया तो पहले जय और बाद देव लगाकर ‘जयगुरुदेव’ नाम बताकर सच्चे गुरु को बीच में रखकर गुरु का पूरा काम किया। मौत के समय भी जब मुख से जयगुरुदेव नाम निकलेगा तो पीड़ा कम होगी, शरीर आराम से छूट जाएगा।
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