जयपुर। प्रदेश में अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ की ओर से 18 दिसम्बर से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार शुरू किया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अरिसदा की ओर से बुधवार को अरिसदा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी और महासचिव डॉ. दुर्गाशंकर सेनी ने बयान जारी कर बताया कि विभिन्न मांगों को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच सरकार द्वारा सुनवाई नहीं करने से व्यथित होकर राज्यभर के सभी सेवारत चिकित्सकों, जिलों के जिलाध्यक्ष व राज्य कमेटी के पदाकारियों ने 18 दिसम्बर से अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश लेकर कार्य बहिष्कार करने का निर्णय किया गया। उन्होंने बताया कि 14 से 17 दिसम्बर तक मरीजों के देखते हुए सेवारत चिकित्सक प्रदेशभर में गांधीवादी तरीके से विरोध जताते हुए हुए सरकार से दमनात्मक कार्रवाई वापस लेने और समझौता वार्ता के बिंदुओ पर अमल करने की मांग करेंगे।
उन्होंने बताया कि सेवारत चिकित्सक कई दिनों से गांधीवादी तरीके विरोध जता रहे हैं। इसके बाद भी सरकार की ओर से मांगों पर सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया। अब व्यथित होकर राज्य के चिकित्सकों को यह निर्णय लेना पड़ रहा है। इससे प्रदेश में पीड़ित व रुग्ण व्यक्ति को होने वाली पीड़ा के लिए पूर्णतया राज्य सरकार जिम्मेदार होगी।
ये हैं सेवारत चिकित्सकों की प्रमुख मांगें
प्रदेश महासचिव डॉ. दुर्गाशंकर सैनी ने बताया कि प्रदेश में सेवारत चिकित्सकों के साथ हुए समझौते की मूल भावना के अनुरूप क्रियान्वयन किया जाए। 12 सेवारत चिकित्सकों के स्थानांतरण आदेश निरस्त हों। अतिरिक्त निदेशक राजपत्रित के पद पर सेवारत चिकित्सक लगाया जाए। सामूहिक अवकाश अवधि को अवकाश में समायोजित किया जाए। सेवारत चिकित्सकों के आंदोलन के दौरान चिकित्सकों के खिलाफ दर्ज प्रकरण व अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश निरस्त किए जाएं।
मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखकर जताई पीड़ा
अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ की ओर से पिछले दिनों ईमेल के माध्यम से तथा पत्र लिखकर प्रदेश की मुख्यमंत्री को पीड़ा बताई गई है। मुख्यमंत्री से मामले में संज्ञान लेकर समय देने तथा मांगों पर सकारात्मक कदम उठाने का आह्वान किया है। 12 दिसम्बर को हुए समझौते से सेवारत चिकित्सक संघ ने सकारात्मक कदम उठाने के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया था। समझौते के बाद भी उसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा रहा है। अतिरिक्त निदेशक राजपत्रित के पद से आरएएस को हटाया नहीं गया है। वेतन विसंगतियों को दूर नहीं किया गया है। सेवारत चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि राज्य सरकार के चार वर्ष होने पर चिकित्सकों की अनिश्चिय की स्थिति दूर कर सकारात्मक कदम उठाएं।
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