जयपुर। जयपुर हैरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर को अब कभी भी गिरफ्तार किया जा सकता है। क्योंकि राजस्थान हाईकोर्ट की फटकार के बाद राज्य सरकार ने उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति जारी कर दी है।
एडवोकेट पूनमचंद भंडारी ने बताया कि शिकायतकर्ता सुधांशु ने भ्रष्टाचार निरोधक विभाग को शिकायत की थी कि हेरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर पट्टे जारी करने के लिए दो लाख रुपए रिश्वत मांगती हैं। विभाग ने इस शिकायत पर मेयर के पति सहित दो जनों को दो लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों मेयर के घर पर पकड़ा और एफआईआर दर्ज कर ली थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
विस्तृत जांच में पाया कि रिश्वत प्रकरण में मुनेश गुर्जर, उसके पति सहित दो जने लिप्त हैं और संपूर्ण जांच करने के पश्चात समस्त साक्ष्य के आधार पर न्यायालय में चार्जशीट प्रस्तुत करने से पूर्व डीएलबी के डायरेक्टर के पास अभियोजन स्वीकृति के लिए प्रकरण को 1 मई 2024 को भेजा गया। लेकिन डीएलबी के डायरेक्टर ने फाइल अपने पास रोक रखी थी और अभियान स्वीकृति जारी नहीं कर रहे थे। जिससे मेयर के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट फाइल नहीं की जा सकती थी। तब हाईकोर्ट में फौजदारी याचिका प्रस्तुत कर निवेदन किया था कि मिलीभगत के कारण अभियोजन स्वीकृति नहीं दी जा रही है।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने 3 मई को मामले पर सुनवाई के दौरान नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इतने लंबे समय तक अभियोजन स्वीकृति जारी क्यों नहीं की इससे अपराधियों के हौसले बढ़ते हैं और 9 सितंबर को डीएलबी के निदेशक को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिए था। सोमवार को हाईकोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि 6 सितंबर को अभियोजन स्वीकृति जारी कर दी गई है। न्यायालय को व्हाट्सएप पर स्वीकृति दिखाई।
अधिकता पूनम चंद भंडारी ने कहा कि अभियोजन स्वीकृति को न्यायालय में पेश किया जाए।
इस पर गिल ने कहा न्यायालय में डीएलबी के निदेशक वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए उपस्थित हैं और उन्होंने कहा कि अभियोजन स्वीकृति उन्होंने जारी कर दी है।
न्यायाधिपति एन सी ढड्ढा ने कहा कि इतने लंबे समय तक अभियोजन स्वीकृति नहीं दी गई। लेकिन जैसे ही न्यायालय ने आदेश दिया तो तुरंत जारी कर दी गई है।
अधिवक्ता के निवेदन पर प्रकरण को 2 सप्ताह बाद रखा गया है ताकि भ्रष्टाचार निरोधक विभाग कोर्ट में चालान पेश कर दें, वरना कोई और बहाना लेकर के मामले को अटका दिया जाएगा। न्यायालय ने प्रकरण को दो सप्ताह बाद सूचित करने का आदेश दिया।
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