ट्रस्ट सत्र में, समाज में घटते भरोसे पर बात की गई, खासकर उस क्षेत्र में,
जहां भरोसा सबसे ज्यादा कम है - वित्त। ‘वित्त में अविश्वास पुरानी बात
है,’ उल्लेखनीय अर्थशास्त्री मिहिर देसाई कहते हैं। वो कहते हैं कि ऋण को
आज भी संदेह से देखा जाता है, ‘जबकि आज आप आसानी से पता लगा सकते हैं कि
किसके पास संसाधन नहीं हैं।’ एचएसबीसी की नैना लाल किदवई कहती हैं कि
मानकों की कमी ही सबसे बड़ी कमजोरी है। उन्होंने अपने कुछ निजी नियम बनाए
हैं, जैसे वो भ्रष्ट उद्योगों को ऋण नहीं देती हैं। बिजनेस कैसे अपनी अच्छी
रेपुटेशन बना सकते हैं, इस पर लेखक अम्बी परमेश्वर अमूल का उदाहरण देते
हैं, जिसने ‘भरोसे’ की वजह से ही ग्राहकों और उद्योग के व्यवसायियों के बीच
अपनी जगह बना ली।
लेखक और भारत के भूतपूर्व चीफ इलेक्शन कमिश्ननर
नवीन चावला की नई किताब, एवरी वोट काउंट्सः द स्टोरी आॅफ इलेक्शन इन इंडिया
प्रकाशित हुई है। भूतपूर्व पत्रकार पद्म भूषण नरसिम्हां राम से बात करते
हुए, चावला ने बताया कि ‘भारत में हम हर बार सही समय पर चुनाव करवाने में
सफल हुए है,’ जो इस लोकतंत्र की सफलता है। चावला ने कहा कि संसद में
महिलाओं की संख्या एक-तिहाई से बढ़ाकर पचास प्रतिशत कर देनी चाहिए। उन्होंने
भारतीय राजनीति में वित्त की वर्तमान हालत पर भी चिंता जताई, ‘जो चुनावों
के समय पानी की तरह पैसा बहाती है।’
लोकसभा चुनाव 2024: सुबह 9 बजे तक बिहार में 9.23%,छतीसगढ़ में 12.02%,J&K में 10.43%,MP में 15%,महाराष्ट्र में 6.98% मतदान दर्ज
लोकसभा चुनाव 2024: राजस्थान में सुबह 9 बजे तक 10.67% मतदान दर्ज,यहां देखे 12 सीटों में कितना मतदान हुआ
बंगाल के कूचबिहार में तृणमूल-बीजेपी कार्यकर्ताओं में झड़प के बाद भड़की हिंसा
Daily Horoscope