जयपुर । जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2019 के तीसरे दिन की शुरुआत विद्या शाह के मधुर सुरों के साथ हुई, जिन्होंने अपनी जादुई आवाज़ से समां बांध दिया। शनिवार के दिन में आयोजित सत्रों में देश और दुनिया के पटल पर छाए गर्मा-गर्म मुद्दों पर जमकर चर्चा हुई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राजनीतिक मसले पर चर्चा के लिए फेस्टिवल में, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और समाचार वक्ता राजदीप सरदेसाई ने न्यूज लाॅन्ड्री की एडिटर-इन-चीफ और सह-संस्थापक, मधु त्रेहान के साथ भारत में पत्रकारिता की बदलती प्रकृति पर बात की। राजदीप सरदेसाई ने जोर दिया कि पत्रकारिता का मकसद वास्तविक खबरें दिखाना होना चाहिए, ‘अपना बिजनेस फैलाना’ नहीं।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में पहली बार आने वाले अमेरिकी लेखक आंद्रे ऐसमैन, कामयाब उपन्यास काॅल मी बाय योअर नेम के लेखक, इस उपन्यास पर इसी नाम से एक बेहतरीन फिल्म भी बनी थी - ने सिद्धार्थ धनवंती शांधवी से रोमांस, लेखन, और उन किताबों पर चर्चा की, जो लोगों की जुबान पर चढ़ जाती हैं। ‘मैं गे लव स्टोरी की पारंपरिक चुनौतियों से बचना चाहता था,’ ऐसमैन ने कहा।
सत्र क्रिएटीविटी एंड कंसाइंस में इस चुनौती पर चर्चा हुई कि कला कलाकार से जुदा होनी चाहिए या नहीं - एक ऐसा सवाल जिसमें बहुत कलाकारों के मीटू आंदोलन में जुड़े होने का सवाल उठा। वक्ताओं ने बहस की कि क्या ऐसे कलाकार की कला को मान देना चाहिए, जो किसी तरह के अपराध में लिप्त हैं। लेखक और कमेंटेटर गुरचरण दास ने कहा कि ये ग्राहक की समस्या है कि वो सर्जक के विश्वासों या कार्य से असहमत है। दूसरी तरफ, प्रज्ञा तिवार और वीणा वेणुगोपाल ने तर्क दिया कि कलाकार की जिंदगी अक्सर मिथक का हिस्सा बन जाती है, जिस वजह से लोग उन्हें आसन पर बिठा देते हैं।
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