जयपुर।
सुरेश ज्ञान विहार विश्वविद्यालय जयपुर में शुक्रवार को तीन दिन दिवसीय
‘चैलेंजेज एंड सोल्यूशंस फॉर ए सस्टेनेबल एनवायरनमेंट’ विषय पर 5वां एनुअल
इंटरनेश अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ। उद्घाटन समारोह के चीफ गेस्ट
‘रेमन मैग्सेसे’ अवार्डी पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट थे। ‘रेमन
मैग्सेसे’ अवार्डी और ‘वाटर मैन’ के नाम से मशहूर सोशल एक्टिविस्ट राजेंद्र सिंह, डॉ. सुरेश प्रसाद सिंह, ज्ञान विहार विवि के चीफ मेंटर डॉ.
सुधांशु, वायस चांसलर डॉ. धर्मबुद्धि, डॉ. डी. शाह और मोजांबिक की एंबेसेटर
मिस मैरी उद्घाटन समारोह के विशिष्ट अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता
विश्वविद्यालय के चेयरमैन सुनील शर्मा जी ने की। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चीफ
गेस्ट पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट ने सम्मेलन के शुभारंभ की उद्घोषणा
की और कहा पर्यावरण के खतरों से निपटने में सबसे बड़ी बाधा राजनैतिक
इच्छाशक्ति का है। इसके लिए युवाओं को आगे आना होगा और पोलिसी मेटर पर दबाव
बनाना होगा। उन्होंने हिमालय के पिघलते ग्लेसियर पर चिंता व्यक्त करते हुए
कहा हम प्राकृतिक आपदाओं को होने से तो नहीं रोक सकते लेकिन अवेरनेंस के
माध्यम से आपदा की मारक क्षमता को कम कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर बल
किया कि हमें पर्यावरणीय समस्याओं को विज्ञान सम्मत समझना होगा और उनका हल
ढूंढना होगा।
उद्घाटन
समारोह के बाद ‘पानी और जंगल पंचायत’ का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य
वक्ता ‘रेमन मैग्सेसे’ अवार्डी राजेंद्र सिंह ने जल संकट पर बोलते हुए
कहा कि इस समस्या का समाधान केवल और केवल जल संरक्षण है। उन्होंने कहा जल
संकट के समाधान की दिशा में सरकार की नदियों को जोड़ने की योजना की आलोचना
की और कहा यह कोई समाधान नहीं हैं। वल्कि इस योजना के भारी खतरे हैं।
उन्होंने नदी लिंकिंग योजना को डिजास्टर बताया। उन्होंने कहा नदियों को
बचाना है तो इन्हें लोगों के दिलो-दिमाग से जोड़ना होगा। शिक्षण संस्थानों
में भी हमें नेचर को पोषण करने वाली शिक्षा देनी होगी।
इस
पंचायत में डॉ. सुरेश प्रसाद सिंह ने भी अपनी बात रखी। अंत में डॉ सुशांधु
ने पंचायत में एक प्रस्ताव रखा कि ‘हमें नेचुरल तरिकों से संसाधनों का
रखरखाव करना होगा।’ इसका सभी लोगों ने हाथ उठाकर समर्थन किया। इसके
अलावा कन्वेशन में अलग अलग जगह पांच टेक्निकल सेशन चले जिसमें वाटर
मेनेंजमेंट, नेचुरल रिसोर्स मेनेजमेंट, क्लाइमेंट चेंज के विभिन्न तकनीकि
पहलुओं पर चर्चा हुई।
सम्मेलन का आयोजन सुरेश ज्ञान
विहार विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर क्लाइमेट चेन्ज एंड वाटर रिसर्च’
(सीथ्रीडब्ल्यू) की ओर से किया जा रहा है। इसमें डेढ हजार से अधिक पर्यावरण
प्रेमी, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता, शोधकर्ता, वैज्ञानिक, उद्यमी,
गवर्नमेंट ऑफिसर, डॉक्टर, रिसर्चर और स्टूडेंट्स भाग ले रहें हैं।
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