जयपुर। प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि राज्य के चिकित्सा संस्थानों में 24 घंटे प्रसूति सेवाएं प्रदान करने के लिए डिलीवरी पाॅइन्ट के रूप में विकसित कर आवश्यक सभी उपकरण उपलब्ध करवाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकारी चिकित्सा संस्थानों में निजी अस्पतालों जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डाॅ. शर्मा ने स्वास्थ्य भवन में सोमवार को आयोजित जनघोषणा पत्र की समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी। उन्होंने विभाग द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं की विस्तार से समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। उन्होंने प्रत्येक चिकित्सा संस्थान पर प्रसव सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार सभी केन्द्रों पर आवश्यक रूप से प्रसव कराने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने चिकित्सा संस्थानों पर चिकित्सक, नर्सिंग एवं पैरामेडिकल स्टाॅफ की स्थिति की भी समीक्षा की। उन्होंने बताया कि जल्द ही एएनएम और जीएनएम के लगभग 17 हजार पदों पर भर्ती प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी।
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 732 आपातकालीन एम्बुलेंस 108 संचालित की जा रही है। उन्होंने खराब पड़ी एम्बुलेंस के स्थान पर नई एम्बुलेंस लगाने की कार्यवाही यथाशीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए। साथ ही सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिये संचालित मेडिकल मोबाइल यूनिट एवं मेडिकल मोबाइल वैन के संचालन को और प्रभावी बनाने के निर्देश दिए।
डाॅ. शर्मा ने टीकाकरण के क्षेत्र में हुई प्रगति की भी विस्तार से समीक्षा की। उन्होंने सभी बच्चों के पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करने के निर्देश दिए। उन्होंने शहरी क्षेत्रों में टीकाकरण की रिपोर्टिंग में सुधार लाने के निर्देश दिए। उन्होंने अगले माह संचालित होने वाले खसरा-रूबेला अभियान की सभी तैयारिया समय रहते पूर्ण करने के निर्देश दिये। उन्होंने प्रदेश में मेडिकल ट्यूरिज्म को बढ़ावा देने की आवश्यकता प्रतिपादित की।
चिकित्सा मंत्री ने दूरस्थ चिकित्सा संस्थानों में ऑनलाइन विशेषज्ञ चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए संचालित टेलीमेडिसन परियोजना को और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही उन्हांेने इस परियोजना के बारे में आमजन को जागरूक करने के निर्देश दिए। उन्होंने गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों को एनिमिया से मुक्त करने के लिये संचालित एनिमिया मुक्त राजस्थान अभियान की भी समीक्षा की। उन्होंने शिक्षा विभाग के साथ समन्वय करते हुये विद्यालयों में आईएफए की उपलब्धता व उपयोगिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आशा सहयोगिनियों के रिक्त पदों को तत्काल भरने के निर्देश दिए।
डाॅ. शर्मा ने कहा कि प्रदेश के गांव-गांव व ढाणी-ढाणी तक आमजन को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने में उपस्वास्थ्य केन्द्रों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
उन्होंने आवश्यकतानुसार नए उपस्वास्थ्य केन्द्र खोलने, रिक्त पदों को भरने के साथ ही विभिन्न मूलभूत आवश्यकताओं को पूर्ण करते हुए उपस्वास्थ्य केन्द्रों को सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता प्रतिपादित की है।
चिकित्सा मंत्री ने निजी चिकित्सालयों एवं जांच केन्द्रों पर गुणवत्ता सुनिश्चित करते हुए बेतहाशा शुल्क के नाम पर अनावश्यक दबाव को रोकने के लिए मौजूदा कानून में संशोधन करने के निर्देश दिए। उन्होंने खाद्य पदार्थों में मिलावट पर चिंता व्यक्त करते हुये मिलावटियों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही करने के भी निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने औद्योगिक घरानों के सीएसआर के द्वारा चिकित्सा संस्थानों को गोद लिये जाने के लिये औद्योगिक घरानों से सम्पर्क कर चिकित्सा संस्थानों की सीएसआर के अन्तर्गत गोद लिये जाने के लिए प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए।
बैठक में शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा हेमन्त गेरा, मिशन निदेशक एनएचएम डाॅ. समित शर्मा, प्रबन्ध निदेशक आरएमएससी सुरेश चन्द गुप्ता, अतिरिक्त मिशन निदेशक एनएचएम एस.एल. कुमावत, निदेशक जनस्वास्थ्य डाॅ. वी.के.माथुर, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डाॅ. खुशाल यादव, निदेशक आरसीएच डाॅ. श्रीराम मीणा, निदेशक एडस डाॅ. आरपी डोरिया सहित संबंधित अधिकारीगण मौजूद थे।
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