जयपुर । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि संविधान ने हमें न्याय
का बुनियादी अधिकार दिया है। हर पीड़ित व्यक्ति को इस अधिकार के अनुरूप
त्वरित एवं सुगमता से न्याय दिलाने में अधिवक्ता समुदाय की महत्वपूर्ण
भूमिका है। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता समाज की अहम कड़ी के रूप में अपने
दायित्व का निर्वहन करते हुए न्याय के मौलिक अधिकार की अवधारणा को और मजबूत
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गहलोत रविवार को मुख्यमंत्री निवास
से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जोधपुर में बार काउन्सिल ऑफ राजस्थान
के नवनिर्मित अधिवक्ता भवन के लोकार्पण समारोह को सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमारी न्यायपालिका संविधान की रक्षक है। कार्यपालिका,
न्यायपालिका और विधायिका, तीनों ही संवैधानिक जिम्मेदारी से बंधे हुए हैं।
इसमें से एक भी कड़ी कमजोर होती है तो लोकतंत्र कमजोर होता है। मुख्यमंत्री
ने कहा कि देश के विभिन्न न्यायालयों में बड़ी संख्या में लम्बित प्रकरणों,
न्यायाधीशों के रिक्त पद तथा न्याय में देरी चिंता का विषय है। न्याय में
देरी, न्याय नहीं मिलने के समान है। इस समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय
स्तर पर चिंतन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की जनता को न्याय प्रणाली
पर सबसे अधिक भरोसा है और प्रजातंत्र की मजबूती के लिए यह विश्वसनीयता कायम
रहनी चाहिए।
गहलोत ने विगत कुछ वर्षाें
में न्यायपालिका के समक्ष आ रही चुनौतियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि
यह सर्वोच्च सम्मान और गरिमा से जुड़ी हुई सेवा है। इस पर किसी भी तरह की
आंच आना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए
न्यायपालिका का निष्पक्ष, सशक्त और स्वतंत्र रहना जरूरी है।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि आजादी के आंदोलन में अधिवक्ता समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका रही
है। हमारे कई महान नेता भी अधिवक्ता थे, जिन्होंने अपनी सूझबूझ तथा त्याग
एवं बलिदान से देश को आजाद कराने में अहम योगदान दिया। युवा अधिवक्ताओं को
उनसे प्रेरणा लेकर न्यायिक क्षेत्र में सकारात्मक सोच के साथ अपनी
जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
गहलोत ने कहा कि
राज्य सरकार अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही
है। उन्होंने कहा कि हमारी पिछली सरकार में अधिवक्ताओं को जिला और तहसील
स्तर पर पुस्तकालयों की सुविधा एवं कल्याण कोष के लिए 11 करोड़ रूपए की राशि
दी गई थी। कोविड संकट से प्रभावित अधिवक्ताओें की सहायता के लिए भी राज्य
सरकार ने 10 करोड़ रूपए की राशि दी है। भविष्य में भी राज्य सरकार उनके
कल्याण के लिए कोई कमी नहीं रखेगी।
सर्वोच्च
न्यायालय के न्यायाधिपति दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि बार और बैंच
एक-दूसरे के पूरक हैं। पीड़ित को न्याय दिलाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा और पीड़ित को न्याय
दिलाना अधिवक्ता समुदाय का मुख्य ध्येय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नए
न्यायिक अधिकारी वरिष्ठ न्यायाधीशों एवं विधिक विशेषज्ञों के अनुभवों का
लाभ लेकर न्यायपालिका को मजबूती प्रदान करें।
राजस्थान
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अकील कुरैशी ने कहा कि हर केस को
जीत या हार की कसौटी पर तोलने की बजाय हमारा प्रयास हो कि पीड़ित को शीघ्र
न्याय मिले। यही हमारी प्रतिबद्धता होनी चाहिए।
बार
काउन्सिल ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष राजेश पंवार ने स्वागत उद्बोधन
दिया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने जयपुर और जोधपुर में अधिवक्ता भवन
के लिए निशुल्क भूमि और एक-एक करोड़ रूपए की राशि उपलब्ध कराई है। जयपुर के
बाद अब जोधपुर में भी इस भवन के बनने से अन्य शहरों से आने वाले अधिवक्ताओं
को ठहरने की सुविधा मिलेगी। इस अवसर पर राज्य उच्च न्यायालय के
न्यायाधिपति, महाधिवक्ता एमएस सिंघवी, बार काउन्सिल के पदाधिकारी एवं
सदस्य उपस्थित थे।
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