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संसद के नए भवन में राजस्थान का भी अतुलनीय योगदान, आखिर कैसे, यहां पढ़ें

Incomparable contribution of Rajasthan in the new building of Parliament - Jaipur News in Hindi

- गोपेन्द्र नाथ भट्ट -

नई दिल्ली/जयपुर
। आजादी के अमृत काल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट संसद के नए भवन के उद्घाटन अवसर पर राजस्थान के योगदान की चर्चा नहीं करना बेमानी होगा।

नए संसद भवन में लगे गुलाबी पत्थर से लेकर इसकी आन्तरिक साज सज्जा और फर्नीचर तक में राजस्थान का अतुल्य योगदान है।

राजस्थान के झुन्झुनू जिले के पिलानी मूल के कलाकार नरेश कुमावत ने नए संसद भवन की पीपुल्स गैलेरी मेंसमुद्र-मन्थन की नायब और सबसे आकर्षक पेंटिंग बना कर लगाई है। यह विशाल पेंटिंग 80x10 साईज में पूरी तरह ब्रास में उकेरी गई है।

कलाकार नरेश कुमावत के इस बेजोड़ काम में उन्हें बीकानेर मूल के कलाकार कैप्टन विशाल विशनोई ने भी सहयोग प्रदान किया है। कैप्टन विशनोई मूलतः हवाई जहाज उड़ाने का काम करते है लेकिन उनकी रुचि कलाकृतियों का सृजन करने में भी हैं।

नरेश कुमावत बताते है कि उन्हें लोकतन्त्र के मंदिर कहे जाने वाले देश के नए संसद भवन में समुद्र मंथन की इसअनुपम कलाकृति को लगाने का बहुत अधिक गर्व है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के असाधारण विजन को वेसलाम करते है।


नए संसद भवन के निर्माण में उपयोग में लाया गया गुलाबी पत्थर भी पुरानी संसद में लगे पत्थर की तरह राजस्थान का ही है। भवन की स्थापत्य कला में भी राजस्थान का समावेश और मूर्तिकारों का योगदान है। नए संसद भवन का अधिकांश फर्नीचर भी बीकानेर के कलाकारों ने बनाया हैं।


नया संसद भवन देश की विविधताओं से भरी बेजोड़ संस्कृति का खूबसूरत आईंना है। इसमें लाल सफेद सेंडस्टोन राजस्थान के सरमथुरा का है। फ्लोरिंग त्रिपुरा के बांस से की गई है। कालीन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का है। निर्माण के लिए रेत हरियाणा के चरखी दादरी से मंगवाई गई है। संसद भवन के लिए सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र के नागपुर से मंगवाई गई है।

केसरिया हरा पत्थर राजस्थान के उदयपुर, लाल ग्रेनाइट अजमेर के पास लाखा और सफेद संगमरमर गुजरात के अंबाजी से मंगवाया गया है। फाल्स सीलिंग के लिए स्टील की संरचना दमन-दीव द्वीप से मंगाई गई है।फर्नीचर महाराष्ट्र के मुंबई में राजस्थान के सिद्ध हस्त कलाकारों ने तैयार किया है। पत्थर की जाली का काम राज नगर और नोएडा से कराया गया है। प्रतीक चिन्ह अशोक स्तंभ के लिए सामग्री महाराष्ट्र के ओरंगाबाद और राजस्थान के जयपुर से मंगाई गई ।

भवन की विशाल दीवार और संसद के बाहर लगा अशोक चक्र मध्य प्रदेश के इन्दौर से मंगाया गया है। पत्थर की नक्काशी का काम राजस्थान के आबू रोड और उदयपुर के मूर्तिकारों ने किया हैं।

नए संसद भवन के निर्माण के लिए पत्थर राजस्थान के कोटपुतली से आए है तथा फ्लाई ऐश ईंटे हरियाणा और उत्तर प्रदेश से मंगाई गई।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सौच से रिकार्ड दो वर्ष में बने इस नए संसद भवन का निर्माण उप राष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ तथा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के कार्यकाल में हुआ है और संयोग से दोनों राजस्थान के हैं। इसी प्रकार संसदीय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी राजस्थान के ही है जिनका सदन के सुचारु संचालन और सत्ता पक्ष के लिए सांसदों के साथ समन्वय में महत्वपूर्ण योगदान रहताहै।


बहुत कम लोगों को यह तथ्य मालूम होगा कि लुटियंस जोन के रूप में मशहूर दक्षिणी दिल्ली के इस वी वीआई पी इलाके में राष्ट्रपति भवन नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक सहित संसद भवन आदि सभी महत्वपूर्ण भवन जयपुर रियासत के जयसिंह पुरा की भूमि पर बने है और ऐतिहासिक इंडिया गेट की परिधि से चालीस किमी की सारी भूमि जयपुर के तत्कालीन महाराजा के अधीनस्थ थी जो कि कालांतर में देश को समर्पित की गई तथा आजादी के बाद देश के नव निर्माण की साक्षी बनी है ।

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Web Title-Incomparable contribution of Rajasthan in the new building of Parliament
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