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सोशल मीडिया के युग में पत्रकार और पत्रकारिता को बचाना जरूरी

In the age of social media, it is important to save journalists and journalism - Jaipur News in Hindi

ज का दौर तेजी से बदल रहा है और डिजिटल मीडिया ने जीवन को नया आयाम दिया है। जहां एक ओर तकनीक ने हमारी ज़िंदगी को सरल और सुविधाजनक बना दिया है, वहीं दूसरी ओर इसे लेकर कई गंभीर चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। खासकर डिजिटलाइजेशन ने हमें न केवल सहूलियत दी है, बल्कि नई समस्याओं से भी सामना कराया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है सोशल मीडिया, जो आजकल सूचना का प्रमुख स्रोत बन चुका है। हालांकि, इसके साथ जुड़ी समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

सोशल मीडिया ने सूचना के प्रसार को तीव्र और आसान बना दिया है। लेकिन इस तेजी से फैलते सूचना नेटवर्क ने समाज में भ्रम और फेक न्यूज का प्रचलन भी बढ़ा दिया है। फेक न्यूज, फेक तस्वीरें और फेक वीडियो अब इतनी तेज़ी से वायरल हो रही हैं कि यह निर्धारित करना कठिन हो गया है कि क्या सच है और क्या झूठ। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर चेक एंड बैलेंस का कोई ठोस मैकेनिज्म नहीं है, और AI तकनीक के जरिए इसे नियंत्रित करने की कोशिशें भी उतनी प्रभावी नहीं हो पाई हैं। इस सबका सबसे बड़ा प्रभाव पत्रकारिता पर पड़ा है।
सोशल मीडिया के जरिए पत्रकारों और पत्रकारिता की विश्वसनीयता बुरी तरह प्रभावित हुई है। जहाँ एक ओर लोग प्रिंट मीडिया पर भरोसा करते हैं, वहीं डिजिटल मीडिया पर उतना विश्वास नहीं जताते। यह कड़वी सच्चाई है कि जबकि डिजिटल मीडिया सूचना प्रसार का सबसे तेज़ माध्यम है, फिर भी वह समाज में वह स्थान नहीं पा सका है जो प्रिंट मीडिया ने दशकों से हासिल किया हुआ है। लेकिन, अब कोविड-19 के बाद प्रिंट मीडिया की प्रसार संख्या में लगातार गिरावट आई है।
मार्च 2020 से लेकर अब तक कोई भी अखबार अपनी पूर्व की प्रसार संख्या कायम नहीं रख पाया है। वही, टेलीविजन चैनल्स भी मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और यूट्यूब ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के समीकरण को पूरी तरह से बदल दिया है। 25 से 45 साल के बीच के युवा वर्ग की अधिकांश जानकारी अब मोबाइल के जरिए ही पूरी होती है, और यही कारण है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की भी गिरावट हो रही है।
रेवेन्यू के हिसाब से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अब भी कुछ हद तक ठीक हैं, और सरकार का सहयोग भी मिलता है। हालांकि, डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया के रेवेन्यू में भारी गिरावट आई है। खर्चे तो बढ़े हैं, लेकिन रिटर्न उतना नहीं मिल रहा। सरकार भी डिजिटल मीडिया को उतना सहयोग नहीं दे पा रही है, क्योंकि राजनीतिक और प्रशासनिक वर्ग में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रभाव अधिक है।
पत्रकारिता एक समाज सेवा है, और इसका जन्म ही समाज के उत्पीड़न और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए हुआ था। समाज ने हमेशा पत्रकारिता को इसी नजरिए से देखा है। लेकिन आजकल पत्रकारिता भी भ्रष्टाचार और व्यावसायिक दबावों से अछूती नहीं रही है। हालांकि, यह गिरावट राजनीति, प्रशासन और न्यायपालिका जैसे क्षेत्रों में भी आई है, फिर भी पत्रकारिता को उतना सम्मान नहीं मिल रहा जितना उसे मिलना चाहिए था। कुछ लोग पत्रकारिता को अब समाजसेवा और मिशन के रूप में नहीं देखते।
मीडिया संस्थानों पर बिकने के आरोप लगने लगे हैं, और 'गोदी मीडिया' जैसी नकारात्मक शब्दावली का प्रचलन बढ़ा है। यह सही है कि कुछ लोग और संस्थान बिके हुए हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि पूरी पत्रकारिता को नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए। अगर हम हर क्षेत्र की आलोचना करें तो क्या पूरे क्षेत्र को ही बदनाम कर दिया जाएगा? जैसे डॉक्टरों, न्यायपालिका या किसी अन्य पेशे में ग़लत काम करने वाले लोग होते हैं, वैसे ही पत्रकारिता में भी हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम पूरी कम्युनिटी को ही खराब मान लें।
वर्तमान डिजिटल युग में मीडिया संस्थानों की हालत सबसे खराब है। उनकी आय में निरंतर गिरावट हो रही है और पत्रकारों की नौकरियाँ जा रही हैं। समाचारों के लिए कोई पैसे नहीं देता, लेकिन पत्रकार अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए दिन-रात काम करते हैं। उनका उद्देश्य यह है कि उनकी खबरों से समाज में सकारात्मक बदलाव आए। जरा सोचिए, जब किसी पीड़ित की कोई सुनवाई नहीं होती, तो वह आखिरकार मीडिया का ही दरवाजा खटखटाता है। सुप्रीम कोर्ट के जजों तक को अपने साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए मीडिया का सहारा लेना पड़ा।
पत्रकारिता ही आज के युग में वह एकमात्र साधन है, जिसके जरिए लोग बिना किसी शुल्क के अपनी आवाज़ उठा सकते हैं। यही पत्रकारिता का असली कार्य है, और यही कारण है कि पत्रकारिता को बचाने की आवश्यकता है। आज के समय में, जब कोई भी सेवा मुफ्त नहीं होती, मीडिया ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो समाज के लिए काम करता है। पत्रकारिता को बचाने के लिए हमें समाज से मामूली आर्थिक सहयोग की आवश्यकता है।
समाज को समझना होगा कि मीडिया संस्थान और पत्रकार केवल अपनी आस्थाओं और जिम्मेदारियों के कारण काम कर रहे हैं। उन्हें सिर्फ आर्थिक सहयोग नहीं, बल्कि समाज में अपनी भूमिका को लेकर पुनः सम्मान मिलना चाहिए। समाज को यह समझना होगा कि पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र का अस्तित्व संकट में आ सकता है। इसे बचाना, समाज और लोकतंत्र दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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Web Title-In the age of social media, it is important to save journalists and journalism
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