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RTI की 15 दिन में सूचना नहीं दी तो जेडीए अफसर सजा भुगतने को तैयार रहें : मुख्य सूचना आयुक्त

If information is not given under RTI within 15 days, then JDA officers should be ready to face punishment: Chief Information Commissioner - Jaipur News in Hindi

जयपुर। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराए जाने के लिए राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त एम. एल. लाठर ने शुक्रवार को जेडीए अधिकारियों को जोरदार फटकार लगाई। आयुक्त ने कहा कि परिवादी को 15 दिन के अंदर मांगी गई समस्त सूचना की प्रमाणित प्रतिलिपि उपलब्ध कराई जाए। प्रकऱण की अगली सुनवाई 22 अप्रैल, 2025 को तय की गई है।

गिरिराज अग्रवाल बनाम लोक सूचना अधिकारी जेडीए प्रकरण की सुनवाई करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त ने जेडीए की ओर से प्रस्तुत किए गए जवाब को अमान्य कर दिया। मुख्य सूचना आय़ुक्त लाठर ने कहा कि जेडीए ने जवाब में संबंधित प्रकरण की फाइल 9 जनवरी, 2025 को राज्य सरकार को भिजवाया जाना बताया है, जबकि आयोग ने इस मामले में फैसला 27 जून, 2024 को ही सुना दिया था कि प्रार्थी को सूचना उपलब्ध कराई जाए। इस तरह 6 माह से अधिक समय तक फाइल जेडीए में ही रही, फिर आय़ोग के फैसले का पालन क्यों नहीं किया गया।
मुख्य सूचना आय़ुक्त लाठर ने कहा कि प्रकरण के तथ्यों को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें बदमाशी हुई है। लेकिन, जब कोर्ट की कार्यवाही चल रही है तो फाइल मंत्री अथवा राज्य सरकार के पास लंबित होने के कारण सूचना दिया जाना संभव नहीं बताकर जेडीए जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। उन्होंने जेडीए के अधिकारी को स्पष्ट तौर पर चेताया कि यदि आगामी 15 दिन में आयोग के फैसले का पालन नहीं किया गया तो संबंधित अधिकारियों को सजा भुगतने के लिए तैयार रहना होगा।
बता दें कि प्रार्थी गिरिराज अग्रवाल द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जेडीए के जोन संख्या 1 से दो बिंदुओं पर सूचना मांगी गई थी। इनमें पहला बिंदु 15 एकड़ भूमि ग्राम झालाना डूंगर तहसील सांगानेर की भूमि जो अनाथ आश्रम बनाने के लिए अवाप्ति से मुक्त की गई थी, जिसमें आधे हिस्से को बेचने से पहले भू उपयोग औद्योगिक से बदलकर मिश्रित उपयोग करवाने के लिए पुष्पा जयपुरिया ट्रस्ट ने आवेदन किया हुआ है, उस संपूर्ण पत्रावली की मय नोटशीट कॉपी उपलब्ध कराई जाए।
इसी तरह बिंदु संख्या 2 में 12 एकड़ भूमि ग्राम मानपुर देवरी, तहसील सांगानेर, जो कैपस्टन मीटर्स जयपुर को फैक्ट्री लगाने के लिए अवाप्ति से मुक्त की गई थी, उसका भू उपयोग औद्योगिक से बदलकर कॉमर्शियल किए जाने से संबंधित आवेदन औऱ संपूर्ण फाइल की मय नोटशीट कॉपी उपलब्ध कराई जाए।
रोचक तथ्य यह है कि जेडीए की ओऱ से आरटीआई आवेदन, प्रथम अपील, द्वितीय अपील प्रस्तुत होने पर आयोग के नोटिस, द्वितीय अपील में आयोग के फैसले के बाद भी सूचना उपलब्ध नहीं कराई। यहां तक कि शुरुआती कई पेशियों पर तो जेडीए की ओर से ना तो कोई जवाब दिया गया और ना ही कोई अधिकारी उपस्थित हुआ।
जेडीए अफसर जानबूझकर कर रहे टालमटोलः
इस मामले में जेडीए के अफसर फाइल से संबंधित सूचनाएं देने के लिए जानबूझकर टालमटोल कर रहे हैं। शुक्रवार को भी जेडीए की ओर से जवाब आयोग में दिया गया, उसमें कहा गया है कि बिंदु संख्या 1 में चाही गई सूचना से संबंधित पत्रावली कार्यालय के पत्रांक डी-2385-88 दिनाक 9-1-2025 द्वारा राज्य सरकार को भिजवाई गई है जो अभी तक अप्राप्त है। इसी तरह बिंदु संख्या 2 में चाही गई सूचना से संबंधित पत्रावली भी राज्य सरकार को भिजवाई हुई है, इसलिए सूचना नहीं दी जा सकती। इस पर आयोग ने अधिकारी से पूछा कि फाइल की फोटो कॉपी करवाकर दूसरी फाइल क्यों नहीं रखते, अगर मूल फाइल खो गई तो क्या करोगे। इस पर जेडीए अधिकारी ने कहा कि फोटो पत्रावली तो उनके पास उपलब्ध है। इस पर आय़ोग ने उसी फाइल से फोटो कॉपी करवाकर प्रार्थी को सूचना उपलब्ध कराए जाने के आदेश दिए।
जेएलएन मार्ग पर हुआ जमीन का बड़ा खेलः
उल्लेखनीय है कि जवाहर लाल नेहरू मार्ग और टोंक रोड के बीच स्टॉक एक्सचेंज के सामने वाली जमीन औद्योगिक प्रयोजन के लिए कैपस्टन मीटर्स को अलॉट की गई थी। सीलिंग से जमीन के बचाने के लिए दूसरी कंपनी मैसर्स जय ड्रिंक्स प्रा. लि. बनाकर कुछ हिस्सा उस कंपनी को दे दिया गया। इसके बाद यह जमीन एय़रपोर्ट के लिए अवाप्ति में आ गई। फिर सोशल कॉज अनाथ आश्रम, वृद्धा आश्रम, स्कूल और अस्पताल आदि के नाम पर इसे अवाप्ति से मुक्त कराया गया। बाद में जेडीए से 90बी का पट्टा जारी करवाकर इस पर कामर्शियल कम रेजीडेंशियल मॉल खड़ा कर दिया गया। जबकि अलॉटमेंट की शर्तों के मुताबिक यह जमीन सरकार में वापस जानी चाहिए थी।

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