जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में प्रसिद्ध गीतकार गुलजार और मेघना गुलजार ने पिता पुत्री के अपने रिश्ते के बारे में खुल कर बात की और इसके जरिए परवरिश के वो तरीके भी बताए जिनके जरिए बच्चों को बेहतर ढंग से बड़ा किया जा सकता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मेघना गुलजार ने अपने पिता गुलजार के बारे में एक किताब लिखी है, जिसका नाम है “बिकाॅज वी आर, ए पोट्रेट आॅफ माॅय फादर”। लिटचरेचर फेस्टिवल में गुलजार और मेघना गुलजार ने इसी किताब पर शांतनु राॅय चौधरी से बातचीत की। मेघना ने कहा कि यह किताब गुलजार की बायोग्राफी नही है, बल्कि मैंने एक बेटी के नजरिए से उन्हें देखने की कोशिश की है । मेघना ने बताया कि मेरी मां बहुत छोटी उम्र में इस दुनिया से चली गई थी, लेकिन उन्होंने मुझे एक मां और पिता दोनों की भूमिकाओं में पाला और बहुत बेहतर ढंग से पाला। वो मेरी चोटी भी बनाते थे और मेरे जूते भी पाॅलिश करते थे। जब वो शूटिंग नहीं कर रहे होते थे दोपहर साढे तीन बजे मुझे स्कूल लेने आ जाते थे। मेघना ने बताया कि गुलजार ने मुझे कभी डांटा नहीं, लेकिन अनुशासन पूरा रखा। वे एक प्यारे पिता थे, लेकिन एक जिम्मेदार अभिभावक की भूमिका भी उन्होने पूरे ढंग से निभाई है।
अपनी फिल्मों के बारे में चर्चा करते हुए मेघना ने कहा कि सच्ची घटनाओं पर फिल्म बनाना अच्छा होता है, क्योंकि ये कहानियां सीधे समाज से जुडी होती है। उन्होंने बताया कि मेरी अगली फिल्म छपाक लड़कियों पर एसिड अटैक पर है, जिसमें दीपिका पादुकोन काम कर रही है।
अपने बच्चे पर भरोसा कीजिए
गुलजार ने कहा कि अपने बच्चे में आपका भरोसा होना बहुत जरूरी है। मैंने सिर्फ एक बार मेघना से पूछा था कि क्या वह झूठ बोल रही है और जो प्रतिक्रिया उनके चेहरे पर थी, उसके बाद मैंने उनसे कभी नहीं कहा कि वो झूठ बोल रही है। अपने बच्चे पर आपको भरोसा होना जरूरी है और बच्चे में भी यह भरोसा पैदा करना जरूरी है कि आप उस पर भरोसा करते है। गुलजार ने कहा कि आज तक हम एक दूसरे पर यही भरोसा रखते है। गुलजार ने कहा कि मैंने मेघना को वह सब कुछ करने की छूट दी जो वह चाहती थी और आज मुझे इस बात की खुशी है कि वो अपनी समझ से बहुत बेहतरीन फिल्में बनाती है। उन्होंने कहा कि मेरा सिर्फ एक बात पर जोर था कि जो चाहे सो करो, लेकिन अपनी शिक्षा जरूर पूरी कर लो। मुझे अच्छा लगता है कि उन्होने मेरी उम्मीदेें पूरी की और इसीलिए मैंने लिखा है कि बडी होकर मेरी बेटी ने खोल दिया आसमां मेरा। गुलजार ने कहा कि यह देख कर अच्छा लगता है कि आज की पीढी सिनेमा के पर्दे पर साहित्य लिख रही है और केन्द्र में है।
लड़का होता तो उसका नाम लटठा रखता
गुलजार ने मेघना को बोस्की नाम दिया था। इस नामकरण के पीछे कि कहानी बताते हुए गुलजार ने कहा कि बोस्की एक चाइनीज सिल्क है और मेघना बहुत सिल्की थी। डर लगता था कि हाथ से फिसल न जाएं। हालांकि राखी इस नाम से खुश नहीं थी और उनका कहना था कि कपड़े के नाम पर बेटी का नाम कैसे रखते है। उन्होंने पूछा कि लड़का होता तो क्या नाम रखते, तो मैंने कहा कि लड़का होता तो उसका नाम लटठा रखता।
केजरीवाल को सीएम पद से हटाने की मांग को लेकर नई याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल
तेजस्वी ने पप्पू यादव का नाम लिए बिना कहा- राजद का गठबन्धन कांग्रेस से, किसी व्यक्ति से नहीं
अब्बास अंसारी पिता के जनाजे में शायद ही हो सकेंगे शामिल, लोगों ने कहा - जब राम रहीम को पैरोल तो...
Daily Horoscope