जयपुर। गुजराती महिला शिल्पकारों का एक समूह जयपुर में चल रहे महिला शिखर सम्मेलन में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कानों में सोने के बड़े-बड़े झुमके, बाह और हाथों पर हरे रंग के छोटे टैटू इन महिलाओं को खास पहचान देते हैं।
इन महिलाओं के स्टालों पर, न केवल उनके सामान, बल्कि उनके स्वयं के पहनावों की भी चर्चा है।
ओखाई बोर्ड की न्यासी और बेन द्वारका के मीठापुर में स्वयं सहायता समूह महासंघ की अध्यक्ष रामी बेन ने कहा, "हम रामबनी समुदाय से आते हैं और हमारे कानों की बालिया हमारे समुदाय की परंपरा में हैं।"
रामी बेन बताती हैं कि इन मोटी बालियों को संभालने के लिए कान के छेद को कुछ वर्षों में धीरे-धीरे बढ़ाया जाता हैं और यह प्रक्रिया दर्दभरी होती है।
इसकी शुरुआत एक छोटी पतली नीम के सींक से होती है। इसे छेदन में धकेला जाता है। जैसे ही छेद बड़ा होता है, अंदर जाने वाले सींक की संख्या धीरे-धीरे कुछ वर्षों में पूरे कान के छेद को लगभग काट देती है।
रामी बेन ने कहा, "इस तरह हम यह सुनिश्चत करते हैं कि शादी से पहले ही 15-16 साल की लड़कियों के कान के छेद पूरी तरह से खुल जाएं।"
अपनी बाहों पर टैटू के बारे में उन्होंने कहा, "हरे रंग के टैटू कराना हमारी परंपरा है। पहले, हमारी मां और दादी ने टैटू सुई की मदद से हरे बिंदू बनाएं थे। अब टैटू सुई के बजाए मशीनों से बनाया जाता है, लेकिन परंपरा चलती रहती है।"
उन्होंने कहा कि हालांकि शिक्षा में तेजी आई है, फिर भी समुदाय के लगभग 70 से 80 प्रतिशत लोग अभी भी मवेशियों को चराने के कार्यो में लगे हुए हैं और महिलाएं भी काम के लिए बाहर निकलती हैं।
--आईएएनएस
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