जयपुर। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ आर्किटेक्ट्स-राजस्थान चैप्टर द्वारा आयोजित राजस्थान आर्किटेक्चर फेस्टिवल के तीसरे दिन की शुरूआत हेरिटेज वॉक से की गई। जिसमें 250 से अधिक डेलीगेट्स और मेहमानों ने चरण मंदिर से वॉटर चैनल और बावड़ी से नाहरगढ़ फोर्ट तक वॉक की। फेस्टिवल के तीसरे दिन ‘हेरिटेज अंडर थ्रेट’ विषय पर देश के जाने-माने आर्किटेक्ट्स ने अपने विचार व्यक्त किए। जिसमें हेरिटेज सिनर्जी इंडिया की कमालिका बोस, आर्किटेक्चरल हेरिटेज एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन, के.टी. रवींद्रन; एआरसीएशिया के प्रेसीडेंट, डॉ अबू सईद एम अहमद; आर्किटेक्ट-अर्बेनिस्ट-कंजर्वेशनिस्ट, कुलभूषण जैन और रविंद्र गुंडू राव एंड एसोसिएट्स के रविंद्र गुंडू राव जैसे आर्किटेक्ट्स एक्सपर्ट्स शामिल हुए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
की-नोट सेशन में बांग्लादेश की मरीना तबस्सुम ने अपने सैशन को संबोधित करते हुये प्राकृर्तिक इम्बैलेंस पर जोर दिया। उन्होंने दो वास्तविकताएं बताई, एक है बढ़ता तापमान और जलवायु संबंधी मुद्दे। उनके अनुसार जलवायु में परिवर्तन और तापमान में बढ़त जैसे कई मुद्दे हैं, समुद्र का स्तर बढ़ रहा है और महामारी जिनका हम पिछले दो वर्षों से सामना कर रहे है। उन्होंने बताया की कई मायनों में अधिक निष्कर्षण और अधिक उत्पादन की हमारी संस्कृति ने अत्याधिक असंतुलन पैदा किया है और मुझे लगता है कि एक वास्तुकार के रूप में हमारे लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम इसे ध्यान में रखें और फिर उसी के अनुसार काम करें।
आर्किटेक्ट, अर्बनिस्ट और कंजर्वेशनिस्ट, कुलभूषण जैन ने जयपुर और अहमदाबाद के वॉलसिटी क्षेत्रों का उदाहरण देते हुए अपने संबोधन में कहा कि, इन क्षेत्रों के संरक्षण के लिए सरकार को प्रयास करने चाहिए। जगह-जगह बेतरतीब निर्माण और पुरानी इमारतों पर साइन बोर्ड देखे जा सकते है। जयपुर के वॉलसिटी को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी घोषित होने के बावजूद इसके संरक्षण को लेकर बहुत उदासीनता है, सरकार को चाहिए कि ऐसे हेरिटेज क्षेत्रों को चिन्हित करके उनके रख-रखाव पर काम करना चाहिए। इसमें आम लोगों का सहयोग भी बहुत जरूरी है। क्योंकि लोग जागरूक होंगे तभी वो अपनी विश्व विरासत की देखरेख कर पाएंगे।
हेरिटेज सिनर्जी इंडिया की कमालिका बोस ने कहा कि, हेरिटेज इमारतों का संरक्षण बहुत जरूरी है, कमालिका बोस ने ताजमहल, मुंबई और जयपुर की हेरिटेज इमारतों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन्हें बचाए रखने के लिए इनका संरक्षण बहुत जरूरी है, जिसके लिए आसपास बढ़ते रिहायशी क्षेत्र और तेज़ी से होते निर्माण के लिए एक पॉलिसी बनाना जरूरी है ताकि हमारी धरोहर संरक्षित रह सके।
आर्किटेक्चरल हेरिटेज एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन, के.टी. रवींद्रन ने दिल्ली और लक्षद्वीप की जर्जर होती हेरिटेज इमारतों का उदाहरण देते हुए कहा कि, हेरिटेज के दुर्गम क्षेत्रों में होते निर्माण के चलते एक अलग ही कॉरिडोर बनता जा रहा है, ऐसे में सरकार को जनता और हेरिटेज इमारतों के बीच विच्छेद को खत्म करने के प्रयास करते हुए इन्हें संरक्षित करने का काम करना चाहिए।
टेक्निकल सेशन ‘एडिंग ग्रीन टू द सैंड’ विषय में अनु मृदुल ने जोधपुर शहर में विभिन्न जल निकायों के विकास पर चर्चा की। जिनमें कृत्रिम व मानव निर्मित दोनों की ही महत्ता को शहर की उन्नति के लिए बराबर बताया। उन्होंने जोधपुर में विभिन्न जल निकायों की बहाली पर आधारित अपनी केस स्टडीज के ज़रिए बताया की जल निकाय की पुरानी प्रणाली को इस्तेमाल कर उन्होंने आधुनिक समाज को फायदा कैसे पहुँचाया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे सांस्कृतिक दृष्टिकोण से जल निकायों को संरक्षित करने में मदद मिलती है और जल निकायों को बचाये रखने में प्राचीन संस्कृति की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
आईआईए-राजस्थान चैप्टर के चैयरमैन, तुषार सोगानी ने देश-विदेश से आये सभी डेलीगेट्स, विजिटर्स और मेहमानों का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि इस फेस्टिवल में दुनियाभर के 26 से अधिक देशों के 1500 से अधिक वास्तुकारों और डिजाइनरों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के दौरान राजस्थान सरकार के चीफ टॉउन प्लानर, श्री आरके वर्गीज और राजस्थान स्मॉल इंडस्ट्रीज डवलपमेंट कॉपोरेशन के चैयरमैन, श्री राजीव अरोड़ा ने सभी प्रतिभागियों को ट्रॉफियां और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
फेस्टिवल के दौरान ‘माई हेरिटेज-माई प्राइड’ आर्किटेक्चर एक्जीबिशन लगाई गई थी, जिसमें राजस्थान के 5 क्षेत्रों मेवाड़, मारवाड़, शेखावाटी, ढु़ढ़ाड़ और हाड़ौती की समृद्ध स्थापत्य विरासत को प्रदर्शित किया गया। फेस्टिवल के अंत में ‘हाथीगांव: हाथियों और महावतों के लिए एक समझौता’ बुक का लॉन्च किया गया। आर्किटेक्ट संजीव विद्यार्थी, आर्किटेक्ट मेघा भटनागर, आर्किटेक्ट गौरव भटनागर और आर्किटेक्ट राजन भट्ट द्वारा लिखित यह मोनोग्राफ हाथीगांव के गर्भाधान, योजना और निर्माण की प्रक्रिया को दर्शाता है और भारतीय शहर जयपुर में काम करने वाले हाथियों और उनकी देखभाल करने वाले परिवारों की एक कहानी है। साथ ही, ‘मेटामॉरफोसिस इन आर्किटेक्चर’ थीम पर आर्ट इंस्टालेशन कम्पीटीशन के विजेताओं को पुरुस्कृत किया गया। जिसकी जूरी में जियाल इस्लाम, अरमांडो यूजीने और मधुप मज़ूमदार शामिल थे।
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