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जयपुर। राजस्थान सरकार ने पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा-95 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए एक अहम निर्णय लिया है। राज्य की उन ग्राम पंचायतों, जिनका कार्यकाल 31 जनवरी 2025 तक समाप्त हो रहा है और जिनके चुनाव अपरिहार्य कारणों से आयोजित नहीं हो पा रहे हैं, वहां प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे।
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इन ग्राम पंचायतों में निवर्तमान सरपंच को प्रशासक नियुक्त किया जाएगा। पंचायतों के सुचारू संचालन के लिए प्रशासकीय समितियों का गठन किया जाएगा। इस समिति में निवर्तमान उप सरपंच और वार्ड पंचों को सदस्य बनाया जाएगा। प्रशासक अपने कर्तव्यों और शक्तियों का पालन प्रशासकीय समितियों की बैठकों में विचार-विमर्श के बाद करेंगे।
ग्राम पंचायत के बैंक खातों का संचालन प्रशासक (निवर्तमान सरपंच) और संबंधित ग्राम विकास अधिकारी द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। प्रशासक और प्रशासकीय समिति की कार्यावधि नई ग्राम पंचायत के गठन और उसकी प्रथम बैठक तक रहेगी।
जिला कलेक्टरों को अधिकार प्रदान
राज्य सरकार ने अधिनियम की धारा-98 के तहत जिला कलेक्टर्स को यह अधिकार दिया है कि वे अपने ज़िले की संबंधित ग्राम पंचायतों में प्रशासक नियुक्त करें और प्रशासकीय समितियों का गठन करें।
यह निर्णय ग्रामीण प्रशासन को निरंतरता प्रदान करने और विकास कार्यों को बाधित होने से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि प्रशासक और प्रशासकीय समितियां निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ काम करें। चुनाव में देरी प्रशासनिक चुनौतियों को जन्म दे सकती है, लेकिन सरकार का यह कदम इस अंतराल को सुचारू रूप से भरने का प्रयास करता है।
आगामी समय में, नवनिर्वाचित पंचायतों के गठन के बाद प्रशासनिक जिम्मेदारियां पुनः हस्तांतरित की जाएंगी, जिससे ग्रामीण शासन की लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल हो सकेगी।
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