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जयपुर। फर्जी अनुभव प्रमाण-पत्र के आधार पर सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग में उपनिदेशक पद पर नौकरी प्राप्त करने के मामले में हाइकोर्ट ने चार सप्ताह में SOG एवं विभाग के सचिव को कार्यवाही कर याचिका कर्ता को जवाब देने का आदेश दिया है ।
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याचिकाकर्ता डॉ. त्रिलोकी नाथ शर्मा के अधिवक्ता पूनमचन्द भण्डारी ने हाईकोर्ट को बताया कि आरपीएससी ने 01.12.2014 को एनलिस्ट कम प्रोग्रामर (उपनिदेशक) के 29 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इस पद के लिए चयन में केवल लिखित परीक्षा ही पास करनी थी एवं यह परीक्षा दिनांक 17.03.2016 को हुई एवं इसका रिजल्ट 03.08.2016 को घोषित किया गया तथा अंतिम रिजल्ट 3.05.2017 को निकाला गया ।
इस भर्ती के लिए एक पूनम रिजवानी ने भी आवेदन किया एवं अपने अनुभव के प्रमाण में एक फर्म GYANAM INFOCOM PRIVATE LIMITED का अनुभव प्रमाण पत्र फर्जी लगाया जिसके अनुसार कथित रूप से पूनम रिजवानी ने May 2011 से दिनांक July 2014 तक इस फर्म के साथ कार्य किया जब कि याचिकाकर्ता को राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय, कोटा से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी के अनुसार पूनम रिजवानी दिनांक 03.11.2011 से Poornima College Of Engineering में Associate Professor के पद पर कार्यरत थी एवं इनकी सैलरी 24320/- प्रति माह थी पर पूनम रिजवानी ने इस इस दक्ष को छुपाया क्योंकि इस अनुभव पर उनको नौकरी नहीं मिलती इसलिए उसने अपने आप को फर्म GYANAM INFOCOM PRIVATE LIMITED में काम करना बताया| लेकिन Ministry of Corporate से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस फर्म के द्वारा जुलाई 2013 के बाद से कोई कार्य किया ही नहीं गया लेकिन पूनम रिजवानी ने फर्म के निदेशकों भारत ताहीलियानी एवं सिमरन ताहीलियानी से मिलीभगत कर फर्म Gyanam Infocom से फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर नौकरी प्राप्त कर ली। अधिवक्ता पूनम चन्द भण्डारी ने बताया कि इसी प्रकार एक अन्य अभ्यर्थी ऋतु भास्कर DRDO में मानदेह के आधार पर रिसर्च स्कोलर थी। सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के दस्तावेजों की नोटशीट के अनुसार रिसर्च स्कोलर इस भर्ती के लिए पात्र नहीं थे। मगर विभाग के उच्चाधिकारियां के साथ ऋतु भास्कर ने मिलीभगत एवं साठ-गाँठ के चलते नियमों में परिवर्तन करवाकर फर्जी तरीके से नियुक्ति प्राप्त करली। इसी प्रकार एक अन्य मामले मंजू रानी बनाम राज्य सरकार में उच्च न्यायालय ने इस मामले की जाँच मुख्य सचिव से करवाने के आदेश दिये थे मगर उच्च स्तर पर मिलीभगत के चलते कोई जाँच नहीं की गई तो डॉक्टर टी एन शर्मा ने राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की और बताया उसने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी ली है सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि ये आपराधिक मामलें हैं एवं इनमें आपराधिक कार्यवाही होनी चाहिए अतः सुनवाई के पश्चात राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश समीर जैन ने याचिकाकर्ता को SOG एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव को एक सप्ताह में जांच हेतु प्रार्थना पत्र पेश करने के आदेश दिये तथा SOG तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव को यह आदेश दिये कि वो सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए चार सप्ताह में याचिका करता के शिकायती प्रार्थना पत्र पर कार्यवाही करें।
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