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सरकार का आरोप राइट टू हेल्थ बिल के बारे में डॉक्टर फैला रहे हैं भ्रम, रेजिडेंट्स के साथ वार्ता, मांगे मानीं, काम पर लाैटेंगे

Government alleges doctors are spreading confusion about Right to Health Bill, talks with residents, demands accepted, hope to return to work - Jaipur News in Hindi

जयपुर। सरकार ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर्स राइट टू हेल्थ बिल के बारे में मीडिया में भ्रम पैदा कर रहे हैं, जो कि आधारहीन है। कोई भी व्यक्ति इलाज के अभाव में कष्ट नहीं पाए, इस मानवीय सोच के साथ राज्य सरकार स्वास्थ्य का अधिकार लेकर आई है। वहीं सरकार और रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रतिनिधि मंडल के बीच हुई वार्ता में सरकार ने उनकी मांगें मान ली है। वार्ता में किए गए निर्णय का लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हाे रहा है। इस बारे में अधिकृत बयान दोनों ही पक्षों की ओर से नहीं आया है। उम्मीद जताई जा रही है कि गुरुवार से रेजिडेंट डॉक्टर काम पर लौट आएंगे।


सरकारी की ओर से जारी बयान में कहा-विधेयक के मूल प्रारूप को लेकर चिकित्सक समुदाय को कुछ आपत्तियां थी। यह विधेयक भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) एवं चिकित्सक समुदाय के अन्य प्रतिनिधियों के साथ विभिन्न बैठकों में मिले सुझावों के आधार पर इन आपत्तियों को दूर कर पक्ष-विपक्ष के सदस्यों की सर्वसम्मति से विधानसभा में पारित किया गया है।

मूल बिल में आपातकालीन स्थिति को परिभाषित नहीं किया गया था, लेकिन संशोधित बिल में चिकित्सकों की इस आपत्ति का निवारण किया गया है। आईएमए के सदस्यों के अनुरोध पर दुर्घटना, सर्पदंश या जानवर के काटने तथा स्टेट हेल्थ अथॉरिटी द्वारा परिभाषित इन आपात स्थितियों को शामिल किया गया है। आईएमए के अनुरोध पर ही दुर्घटनाजनित आपात स्थिति, डेजीगनेटेड हेल्थ केयर सेंटर, इमरजेंसी प्रसूति केयर, प्राथमिक उपचार, स्टेबलाइजेशन तथा स्थानांतरण एवं परिवहन को बिल में शामिल किया गया है।

रेजिडेंट्स के साथ हुआ समझौत


: सीनियर रेजिडेंट के पदाें पर नियुक्त हुए रेजिडेंट को वर्तमान में डीए के साथ एचआरए देने के लिए वित्त विभाग को तुरंत प्रस्ताव भेजा जाएगा।

: प्रदेश में एवं उसके उपरांत प्रवेशित रेजिडेंट्स के लिए बॉन्ड पॉलिसी के तहत सीनियर रेजिडेंट अलॉटमेंट प्रक्रिया की प्रभावी नीति बनाने के लिए रेजिडेंट एसोसिएशन के पदाधिकारी को शामिल किया जाएगा।

: रेजिडेंट्स को पूर्व में दिए जा रहे एचआरए में बढ़ोतरी किए जाने के लिए वित्त विभाग को तुरंत प्रस्ताव प्रेषित किया जाएगा।

: रेजिडेंट डॉक्टर्स, सी. रेजिडेंट्स, डीएनबी रेजिडेंट्स के कार्य बहिष्कार की अवधि को राजकीय अवकाश में समायोजित किया जाएगा। वेतन की कटौती नहीं की जाएगी।

सरकार ने बताया राइट टू हेल्थ बिल में डॉक्टरों की सभी मांगों को किया शामिल

राज्य सरकार के अनुसार मूल बिल में आपातकालीन स्थितियों में उपचार के पुनर्भरण का भी उल्लेख नहीं था। संशोधित बिल में इसे शामिल किया गया है कि आपातकालीन उपचार के बाद यदि मरीज चिकित्सा संस्थान को भुगतान करने में असमर्थ रहता है तो राज्य सरकार उसका पुनर्भरण करेगी। इसी प्रकार मूल बिल में नागरिकों के कर्तव्य एवं चिकित्सा कार्मिकों के अधिकारों का भी उल्लेख नहीं था, जबकि संशोधित बिल में चिकित्सा कार्मिकों एवं नागरिकों के अधिकारों, कर्तव्यों तथा दायित्वों को शामिल किया गया है, जिन्हें नियमों में परिभाषित भी किया जाएगा।

स्वास्थ्य के अधिकार अधिनियम की समुचित पालना के लिए तीन प्राधिकरणों का गठन किया गया है। दो राज्य स्तरीय एवं एक जिला स्तरीय। राज्य स्तरीय प्राधिकरण में दो सदस्य आईएमए के शामिल किए गए हैं। राज्य स्तरीय ट्रीटमेंट प्राधिकरण राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति की अध्यक्षता में गठित किया गया है। इसमें भी आईएमए के दो चिकित्सक सदस्य शामिल हैं। मूल बिल में शिकायत निवारण तंत्र के लिए चिकित्सा संस्थान को कार्यवाही का प्रावधान नहीं था, लेकिन संशोधित बिल में चिकित्सा संस्थानों द्वारा तीन दिन के भीतर शिकायत का निवारण करने का प्रावधान शामिल किया गया है। यदि तीन दिन में चिकित्सा संस्थान शिकायत का निवारण नहीं करता है तो जिला स्तरीय प्राधिकरण को शिकायत भेजी जाएगी।

मूल बिल में सिविल कोर्ट को सुनवाई का अधिकार नहीं था, लेकिन संशोधित बिल में सिविल कोर्ट में सुनवाई का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार के अनुसार विधेयक में ऎसा कोई प्रावधान शामिल नहीं किया गया है जो चिकित्सकों या निजी चिकित्सा संस्थानों के हितों के विरूद्ध हो। कुछ चिकित्सकों द्वारा बिल के पुराने प्रारूप को मीडिया एवं अन्य माध्यम से प्रचारित कर भ्रम पैदा किया जा रहा है।


उदाहरण के लिए यह प्रचारित किया जा रहा है कि आंखों के अस्पताल में हार्ट अटैक के मरीज को उपचार कैसे मिलेगा, जबकि बिल में अस्पतालों को उनके स्तर के अनुसार ही उपचार उपलब्ध कराने का स्पष्ट उल्लेख है, अर्थात आंखों के अस्पताल में आंखों का ही उपचार किया जाएगा। इसी प्रकार यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना एवं जांच योजना के रहते राइट टू हेल्थ की आवश्यकता नहीं है, जबकि राज्य में राइट टू हेल्थ लागू होने पर नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाओं की गारंटी मिलेगी।


राज्य सरकार चिकित्सकों से अपील करती है कि उन्हें जनसेवा की भावना से लाए गए स्वास्थ्य के अधिकार को सफलतापूवर्क लागू करने में आगे बढ़कर सहयोग करना चाहिए, ताकि मानव सेवा के इस सर्वोत्तम पेशे का मान और बढे़।



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