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जयपुर। झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मुंडियारामसर के लिए रविवार का दिन एक नई उम्मीद लेकर आया, जब वर्षों पुरानी पानी की किल्लत का समाधान चुपचाप कर दिया गया—बिना कोई निवेदन, बिना कोई ज्ञापन, बिना कोई प्रदर्शन। राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री और क्षेत्रीय विधायक कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने वह कर दिखाया, जिसकी उम्मीद तो थी, पर मांग कभी नहीं की गई थी।
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जब ग्रामीण प्रतिनिधिमंडल जयपुर पहुंचा और मंत्री से भेंट की, तो भावनाएं शब्दों से आगे निकल गईं। आंखों में आभार था और चेहरों पर राहत। वर्षों से लोग इस बात के लिए संघर्ष कर रहे थे कि गांव में ट्यूबवेल लगे ताकि पीने के पानी की समस्या दूर हो, लेकिन कर्नल राठौड़ ने बिना कहे ही वह दर्द पढ़ लिया।
ग्रामीणों के अनुसार, उन्होंने न तो कोई आवेदन दिया, न कोई ज्ञापन सौंपा, लेकिन क्षेत्रीय मंत्री ने खुद गांव की स्थिति को समझा और ट्यूबवेल की व्यवस्था करवा दी। यह कदम सिर्फ प्रशासनिक नहीं, एक संवेदनशील नेतृत्व की पहचान भी बना।
"जनसेवा का अर्थ यही है..."
भेंट के दौरान कर्नल राठौड़ ने कहा, “जनसेवा का असली अर्थ यही है कि जनता को कहने की ज़रूरत न पड़े। जब जनप्रतिनिधि खुद जाकर लोगों की परेशानी को समझे और उसका समाधान करे, तभी वह सेवा कहलाती है।" उन्होंने आगे कहा, "आप सबका स्नेह ही मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है।"
नेतृत्व का मानवीय चेहरा
मुंडियारामसर के ग्रामीणों ने इस पहल को एक नजीर बताया। उनका कहना था कि जब जनप्रतिनिधि खुद गांव की चिंता करे, तो न केवल समस्या का हल निकलता है, बल्कि भरोसे की नींव भी और मजबूत होती है। यह ट्यूबवेल अब सिर्फ जल का स्रोत नहीं, बल्कि नेतृत्व की संवेदनशीलता का प्रतीक है।
राजनीति से परे सेवा की भावना
कर्नल राठौड़ का यह कदम इस बात का उदाहरण है कि जनसेवा केवल चुनावी वादों तक सीमित नहीं होती, बल्कि वह निरंतर कर्तव्य होती है, जिसमें नेता और जनता के बीच विश्वास का रिश्ता बना रहता है। मुंडियारामसर के लोग अब ट्यूबवेल से जल नहीं, विश्वास भी पी रहे हैं—ऐसे विश्वास का स्वाद मीठा होता है, क्योंकि वह बिना कहे आया होता है।
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