जयपुर। पूर्व चिकित्सा मंत्री एवं विधायक कालीचरण सराफ ने आरोप लगाया है कि राईट-टू-हैल्थ का वादा करने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शासन में कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों के इलाज के लिए जरूरी 48 दवाईयों में भी कटौती कर दी गई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर एक प्रेस वार्ता में सराफ ने आरोप लगाया कि आज स्थिति यह है कि कैंसर जैसी गम्भीर बीमारियों से अतिरिक्त हीमोफिलीया दवाइयाँ भी अस्पतालों से गायब है और सामान्य दर्द/बुखार की डाइकोफ्लेनिक, सोडियम-पैरासिटामोल, बेहोशी की मीडाजोलाम, फंगल इंफेक्शन की एंफ्रोंटेªसीन-बी जैसी दवाईयाँ नदारद है। ।
उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद प्रदेश में 65 सालों में जहाँ 7 मेडिकल काॅलेज खोले, वहीं पाँच साल के भाजपा शासनकाल में 8 मेडिकल काॅलेज स्वीकृत करवाये गये। इनमें से 5 मेडिकल काॅलेज चूरू, भीलवाड़ा, पाली, डूंगरपुर और भरतपुर में 01 जुलाई, 2018 से प्रारम्भ हो गये है और बाकी के 3 मेडिकल काॅलेज सीकर, बाड़मेर और जोधपुर में 01 जनवरी, 2019 को प्रारम्भ होने थे, लेकिन वर्तमान कांग्रेस सरकार की अनदेखी के कारण 01 जुलाई, 2019 को शुरू होने वाले नये सत्र में भी शंका प्रतीत हो रही है।सराफ ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शासनकाल में सवाई मानसिंह चिकित्सालय के महत्वपूर्ण व वरिष्ठ डाॅक्टरों को बाहर भेजा जा रहा है। सवाई मानसिंह चिकित्सालय से करीब 55 मेडिकल डाॅक्टर्स को दूसरे अस्पतालों में भेज दिया गया है, जिसके कारण मरीजों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। सवाई मानसिंह चिकित्सालय में सालाना 30 लाख मरीज दूर-दराज से ईलाज करवाने के लिए आते है। डाॅक्टरों की भारी कमी को देखते हुए भाजपा की पिछली सरकार ने 5414 डाॅक्टरों को नियुक्ति दी एवं 894 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई थी। वर्तमान सरकार इसमें भी नकारा साबित हुई।
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