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सैनेटरी नैपकिन के पर्यावरण अनुकूल निस्तारण करने हेतु कारगर उपाय खोजना एक चुनौति - महिला एवं बाल विकास मंत्री

Finding an effective way to dispose of sanitary napkins in an eco-friendly manner is a challenge - Minister of Women and Child Development - Jaipur News in Hindi

जयपुर । महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि आई एम शक्ति उड़ान योजना के तहत सैनेटरी नैपकिन के पर्यावरण अनुकूल निस्तारण करने हेतु कारगर उपाय खोजना एक चुनौति है जिसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग पूर्ण संकल्प के साथ कार्य कर रहा है।

निदेशालय महिला अधिकारिता, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सेंटर फॉर साइंस एनवायरनमेंट, न्यू दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान और यूएनएफपीए के सहयोग से वानिकी प्रशिक्षण संस्थान में मंगलवार को सैनेटरी नैपकिन पर्यावरण अनुकूल निस्तारण हेतु आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए भूपेश ने कहा कि आईएम शक्ति उड़ान योजना के तहत 10 से 45 वर्ष की महिलाओं को निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध करवाने के साथ ही महावारी स्वच्छता के प्रति जागरूक को भी इसके साथ जोड़ा गया है।

आईएम शक्ति उड़ान योजना में इसके साथ ही निःशुल्क सेनेटरी नैपकिन वितरण से राजस्थान में प्रति माह 12 से 15 करोड़ सैनेटरी नैपकिन का पर्यावरण अनुकूल निस्तारण किया जाने की आवश्यता है। इस चुनौति को ध्यान में रखकर विभाग की ओर से विभिन्न विभागों और सामजिक संस्थाओं के साथ मिलकर वृहद विचार मंथन कर एक नीति बनाये जाने पर भी कार्य किया जा रहा है।

इस अवसर पर महिला अधिकारिता आयुक्त पुष्पा सत्यानी ने कहा कि सैनेटरी नैपकिन के पर्यावरण अनुकूल निस्तारण करने उपायों पर मंथन करने के लिए विभाग विशेषज्ञों के साथ कार्यशालाओ का आयोजन करता है। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला से पूर्व तीन कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य माहवारी स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रबंधन पर योजना के तहत सैनेटरी नैपकिन के वितरण और जागरूकता घटक को मजबूत करना और सैनेटरी नैपकिन के सुरक्षित निपटान के संबंध में विशेषज्ञों से संभावित समाधान के बारे मे चर्चा करना है।

इस अवसर पर यूएनएफपीए के स्टेट हैड दीपेश गुप्ता ने कहा कि राजस्थान की आई एम शक्ति उड़ान योजना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मॉडल योजना के रूप में उभर कर आई है। उन्होंने सैनेटरी नैपकिन के सुरक्षित निस्तारण के महत्व को बताते हुए उस पर ठोस रणनीति बनाने का सुझाव दिया।

कार्यशाला में ओ.पी गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य अभ्यंता राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्थान द्वारा सैनेटरी वेस्ट के प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश पर प्रस्तुतिकरण किया गया । डॉ. अतिन बिस्वास, प्रोग्राम निदेशक और डॉ. रिचा सिंह, उपनिदेशक, सेंटर फॉर साइंस एनवायरनमेंट, न्यू दिल्ली द्वारा सैनेटरी नैपकिन के वैज्ञानिक निस्तारण के लिए प्रौद्योगिकिया पर प्रस्तुतिकरण किया गया । अरुंधति मुरलीधरन, एम.एच.ए.आई द्वारा निस्तारण पर विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किए गए नवाचरों का प्रस्तुतीकरण किया गया । आसावारी , पैडकेयर लेब्स ने सैनेटरी नैपकिन के सुरक्षित निस्तारण के इनोवेटिव तरीके (रियूस और रीसाइक्ल) के बारे मे जानकारी दी । वहीं डीएलबी की ओर से हिमानी तिवारी ने बताया कि प्रत्येक घर से नीला हरा और लाल रंग के कचरा पात्रों के विभाजित मॉडल के अनुसार लाल रंग के कचरा पात्र में ही सैनेटरी नैपकिन के वेस्ट सेग्ररीगेट किया जाना चाहिए और कचरा संगहण गाड़ी में भी इसी प्रकार निस्तारित किया जाना चाहिए।

इस अवसर पर माहवारी के प्रति सहज वातावरण तैयार करने के लिए ‘चुप्पी तोड़ो‘ फिल्म दिखाई गई। उड़ान के नोडल विभाग और स्वच्छ भारत मिशन से अधिकारियो ने भी कार्यशाला मे भाग लिया ।



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